भाजपा नेता अरुण जेटली ने अपने ट्विटर पर 15 अगस्त की शुभकामनाओं के साथ एक पोस्टर ट्वीट किया है। केन्द्रीय मंत्री के इस पोस्टर में बाएं से दाएं चन्द्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, सरदार पटेल, महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक और झांसी की रानी के चेहरे हैं।
सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। #IndependenceDayIndia pic.twitter.com/7jTMTjCSnR
— Arun Jaitley (@arunjaitley) August 15, 2018
इस पोस्टर से आधुनिक भारत के निर्माता और महात्मा गांधी के घोषित राजनैतिक उत्तराधिकारी पंडित जवाहरलाल नेहरू नदारद हैं। वह नेहरू, जिनकी चिंता मृत्युशैय्या पर पड़े सरदार पटेल अपने कैबिनेट सहयोगी गाडगिल से यह कहते हुए करते हैं कि गाडगिल, मेरे जाने के बाद नेहरू को अकेला मत छोड़ देना।
वह नेहरू, जिनके बारे में शहीद-ए-आज़म भगत सिंह कहते हैं कि इस समय पंजाबी नौजवानों को उनके साथ लगना चाहिए ताकि वे इंकलाब के वास्तविक अर्थ, हिन्दुस्तान में इंकलाब की आवश्यकता और दुनिया में इंकलाब का स्थान क्या है आदि के बारे में जान सकें। वह नेहरू, जिससे नेताजी सुभाष अपनी राष्ट्रीय योजना समिति के अध्यक्ष का पद संभालने का आग्रह करते हैं।
दरअसल, इस खीज के पीछे की बड़ी वजह है नेहरू का ऐसा स्टेट्समैन होना, जो लोगों को यह बताता है कि कौन है भारत माता, जो लोगों के दिलों में आईडिया ऑफ इंडिया की छाप बनाता है, जो आज़ाद हिन्दुस्तान के एक ऐसे आईने का उद्देश्य-प्रस्ताव रखता है जिसमें जाति-मज़हब-भाषा-सूबा किसी भी आधार पर भेद की गुंजाइश ना हो, जो आज़ाद हिन्दुस्तान के पहले वज़ीर-ए-आज़म की हैसियत से एकजुट हिन्दुस्तान का नक्शा बनाता है, जो अपनी आखिरी सांस तक अपने साथ आज़ादी की लड़ाई में लड़े लोगों के चुने हुए नुमाइन्दे के रूप में उनकी नुमाइन्दगी के साथ-साथ उनके दिलों पर राज करता है।
इस पोस्टर में नेहरू की तस्वीर गायब होने के साथ ही एक और बात गौर करने वाली है। पोस्टर के बीचों-बीच बने सरदार पटेल का आकार सबसे बड़ा है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि एक भाजपाई नेता के पोस्टर में आज़ादी की लड़ाई के नायकों को एक दूसरे के खिलाफ खड़े करने, एक को दूसरे से बड़ा-छोटा दिखाने से या उन नायकों को राजनैतिक फायदे के लिए तोड़-जोड़ कर इस्तेमाल किया जाए।
यह बहुत साफ है कि नीच राजनैतिक हथकंडे के रूप में ही सरदार से अन्य लोगों को छोटा दिखाया गया है। हालांकि आज सरदार का शरीर ज़िन्दा नहीं है, वरना वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पूर्ण प्रतिबन्धित आतंकी संगठन की श्रेणी में डालकर उसके निक्करधारियों के फन कुचल देते।
इस पोस्टर में गौर फरमाने लायक एक और बात है कि इस पोस्टर में सावरकर, हेडगेवार, गोलवलकर सहित फिरकापरस्त हिन्दू महासभा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक भी चेहरा नहीं चस्पा है, शायद अरुण जेटली कालिख पुते चेहरों से तिरंगे को बदरंग करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।