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“हरियाणा हाईवे पर मुझे एक अनजान अकेली लड़की मिली”

12 जुलाई 2018 को मैं नूंह (हरियाणा) से गुडगांव की ओर बस से यात्रा कर रहा था। बरसात का मौसम होने के कारण अचानक ही आसमान में काली घटा छा गयी। रात के 8 बजे थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि मानो हर ओर अंधकार छा गया हो।

बस ने मुझे तकरीबन रात 9:30 बजे सुभाष चौक पर उतर दिया। अभी यहां से मुझे हुडा सिटी सेण्टर मेट्रो जाना था जो अभी भी दूर था। पता नहीं कहां से एक डरी हुई सी लड़की मेरे पास आकर बोली मुझे मेट्रो स्टेशन जाना है, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?

मैंने सोचा शायद वो भी उसी बस में रही होगी। मैंने उसे कहा मैं भी वहीं जा रहा हूं। इस रोड को पार करके सामने से ऑटो मिलते हैं आप मेरे साथ चल सकती हैं। लड़की चुपचाप मेरे पीछे चलने लगी। ऑटो स्टैंड पर काफी सारे लोग खड़े थे। आमतौर पर जैसा होता है कि इस वक्त इस मौसम में यहां मुश्किल से ही कोई महिला दिखती है।

कुछ ही वक्त में बहुत ज़ोरों की बारिश होने लगी, लड़की ने डरते हुए मुझसे एक बार फिर पूछा क्या आप मेरे साथ ही मेट्रो स्टेशन तक चलेंगे? मुझे डर लग रहा है। मैंने कहां हां कोई बात नहीं आप मेरे साथ चल सकती हैं। हम एक ऑटो मैं बैठे और मेट्रो की ओर चल पड़े।

बारिश बहुत तेज़ हो रही थी और बिजली भी चमक रही थी। हम भींगते हुए ऑटो स्टैण्ड पहुंचे और वहां से मेट्रो तक आते हुए लगभग पूरे भींग चुके थे। लड़की और मैं मेट्रो स्टेशन पहुंचे, उसने कहा उसे नवादा जाना है, उसने नवादा के लिए एक टिकट लिया और फिर मेरे पीछे-पीछे चलने लगी।

अभी भी बारिश बहुत तेज़ हो रही थी। हम साथ में मेट्रो मैं बैठे, लड़की ने बताया कि वह बहुत डर गयी थी उसे पता नहीं था कि इतनी रात हो जाएगी और ऐसा मौसम भी, नहीं तो वह कभी घर से नहीं निकलती। उसने बहुत-बहुत शुक्रिया कहा और मेरी तरफ देखा। उसके चेहरे पर इस बात का संतोष था कि दुनिया में अच्छे इंसान भी हैं और मेरे चेहरे पर उसे इस बात का यकीन दिलाने का संतोष था, ताकि अगर वो कभी रात में हरियाणा के रोड पर भी अकेली हो तो डरे नहीं उसे यह यकीन हो कि अच्छे इंसान भी दुनिया में है।

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