93 साल की उम्र में पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु हो गई है। उनकी तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। एम्स ने कल यानी 15 अगस्त के दिन उनका हेल्थ बुलेटिन जारी करते हुए इसकी जानकारी दी थी। एम्स ने आज सुबह दोबारा से उनका हेल्थ बुलेटिन जारी किया था, जिसके अनुसार उनकी स्थिति उस वक्त भी नाज़ुक बनी हुई थी।
वाजपेयी को किडनी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। कल शाम से ही वाजपेयी को देखने लोगों की भीड़ एम्स पहुंच रही थी।
काफी लंबे समय से उनकी सेहत खराब होने की खबरें सामने आ रही थी। राजनीति से दूरी बनाने की वजहों में से एक उनकी खराब सेहत भी रही है।
अटल बिहारी ने सबसे पहले 1996 में 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभाल संभाला था। इसके बाद 1998-1999 में वो 11 महीनों के लिए प्रधानमंत्री बनें। इसके बाद 1998 से 2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया।
अपने राजनीति कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी कई बयानों की वजह से विवादों में रहें, चाहे वो बाबरी मस्जिद से जुड़ा बयान हो या फिर पार्टी के प्रति अपनी गंभीरता को लेकर दिया गया उनका बयान। संसद में दिए उनके कई बयान भी काफी चर्चा में रहें।
आइए नज़र डालते हैं उनके राजनीतिक करियर के कुछ फेमस बयानों पर
अपने इस बयान में अटल बिहारी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें अधिकार दिया है कि हम कार सेवा करें, उसे रोकने का तो सवाल ही नहीं है। कार सेवा करके सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना नहीं होगी बल्कि उनके फैसले का का सम्मान होगा।
उन्होंने अपने इस भाषण में ये भी कहा था, “जहां नुकीले पत्थर निकले हो उनपर तो कोई बैठ नहीं सकता। तब ज़मीन को समतल करना होगा, बैठने लायक करना होगा। मैं नहीं जानता कल क्या होगा, मुझे अयोध्या जाने की इच्छा थी लेकिन, मुझे दिल्ली आने के लिए कहा गया और मैं आदेश का पालन करूंगा।”
2. 1996 में अपनी 13 दिनों की सरकार के गिरने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का सदन में भाषण- “मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति महोदय को देने जा रहा हूं”
3. जब अटल ने सदन को कहा कि सत्ता तो आएगी-जाएगी लेकिन ये देश बचा रहना चाहिए।
4. जब अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करने की सलाह दी थी
5. पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद सदन में अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण
6. पार्टी के प्रति अपनी ईमानदारी दिखाते हुए वाजपेयी- “पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करना, अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी नहीं छूना चाहूंगा।”
7. राष्ट्रवाद पर बात करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी
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