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कौन हैं सुधा भारद्वाज, जिन्हें भीमा कोरेगांव मामले में किया गया है हाउस अरेस्ट

इस साल की शुरुआत में भीमा कोरेगांव में भड़की हिंसा के मामले में मंगलवार को पुलिस ने देशभर में छापेमारी की और पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। खबरों के अनुसार, गिरफ्तार पांच लोगों का नक्सलियों से कनेक्शन बताया जा रहा है और इसी आधार पर उनकी गिरफ्तारी की गई है।

इन पांच लोगों में हैदराबाद के कवि और समाजसेवी वरवर राव, मुंबई के रहने वाले नागरिक अधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा, वकील और समाजसेवी सुधा भारद्वाज, वर्नोन गान्जल्विस और गौतम नवलखा शामिल हैं।

गिरफ्तार 5 लोगों में तीन को आज अदालत में पेश किया जाएगा। सुधा भारद्वाज को अभी उनके फरीदाबाद के घर में ही नज़रबंद रखा गया है और उन्हें कल यानी गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

कौन हैं सुधा भारद्वाज-

अपने घर में नज़रबंद सुधा भारद्वाज

पेशे से वकील और पिछले 30 सालों से ट्रेड यूनियन से जुड़ी सुधा भारद्वाज मज़ूदरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़े रहते हुए इन्होंने भीलाई के माइन्स और प्लान्ट्स में काम करने वाले मज़दूरों के हकों के लिए भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की है।

इसके साथ ही सुधा दलित और आदिवासी राइट्स के लिए भी लड़ती आई हैं। ये दलित और आदिवासियों के लिए भूमि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार के लिए लगातार काम कर रही हैं।

सुधा नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली की विज़िटिंग प्रोफेसर और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ की राष्ट्रीय सचिव भी हैं। ये ‘जनहित लॉयर कलेक्टिव’ की संस्थापक भी हैं।

सुधा अपने कॉलेज के दिनों में ही मज़दूरों और किसानों के हक की लड़ाई में शामिल हो गई थीं। IIT में पढ़ने के दौरान बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के मज़दूरों की बुरी स्थिति से वाकिफ होने के बाद इन्होंने उनके हक के लिए लड़ने का फैसला किया और 1986 में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुड़ गईं। इनके हक को कानूनी रूप से आगे बढ़ाने के लिए ही सुधा ने वकालत की पढ़ाई की। सुधा ज़मीन अधिग्रहण के खिलाफ भी लड़ाई लड़ती रही हैं।

अमेरीकी नागरिकता के साथ जन्म लेने वाली सुधा ने 18 साल की उम्र में अमेरीकी नागरिकता त्याग दी थी।

रिपब्लिक टीवी ने इस साल 4 जुलाई को अपने एक कार्यक्रम में सुधा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सुधा ने किसी माओवादी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में कश्मीर जैसी परिस्थिति पैदा करनी होगी। रिपब्लिक टीवी ने उनपर माओवादियों से पैसे लेने का भी आरोप लगाया था। हालांकि उस चिट्ठी का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला और सुधा ने भी अपने ऊपर लगे इस आरोप को गलत ठहराया है।

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