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“जवाहर लाल नेहरू के शहर का ये हाल होगा कभी सोचा नहीं था”

तीन नदियों का संगम स्थल इलाहाबाद का सुगमता सूचकांक में ये हाल होगा किसी को उम्मीद नहीं थी। केंद्र सरकार द्वारा भारत में रहने के लिए 111 शहरों की लिस्ट जारी की गई जिसमें इलाहाबाद को 96वां स्थान मिला।

भारत के पहले प्रधानमंत्री का जन्म इसी शहर में हुआ था और उन्होंने अपने राजनीति की शुरुआत यही से की थी। पहली बार लोकसभा चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट से वे संसद भी बने थे।

सवाल उठता है कि जो शहर पूरे विश्व में संगम के नाम से विख्यात है और जहां पर कुंभ, अर्धकुंभ व महाकुंभ का आयोजन होता है और लाखों लोग संगम में पुण्य की डुबकी लगाने आते हैं उसकी ये स्थिति चिंता का विषय है।

सरकार चाहे जिस पार्टी की हो कुंभ के नाम पर शहर को करोड़ों रुपए मिलते हैं लेकिन सरकार की बेरुखी की वजह से ढाचांगत विकास नहीं हो पाता है। सड़क और सौंदर्यीकरण के नाम पर पूरे शहर में खुदी सड़कों से लोगों का जीना दुश्वार है।

ठेकेदार कुंभ को ध्यान में रखकर सड़कों का निर्माण तो करा देते हैं लेकिन एक वर्ष बाद ही इन सड़कों का बुरा हाल हो जाता है। पूरे इलाहाबाद के लिए कुंभ में जितना बजट आता है अगर उसका 70 फिसदी भी शहर के विकास पर लगा दिया जाए तो शहर विश्व पटल पर चमके। इलाहाबाद की बदहाली पर इस समय सवाल उठना इसलिए भी लाज़मी है, क्योंकि महाकुंभ की निगरानी 64 वर्षों बाद फिर से प्रधानमंत्री द्वारा होगी। आज 64 वर्ष पहले कुंभ की निगरानी जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में हुआ था।

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