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अखबार का भविष्यफल कभी गलत नहीं होता, लगी शर्त?

रोज़ाना उठकर अखबार वाला बिना पढ़े अखबार फोंगली बना कर फेंक जाता है। खेल का पन्‍ना काफी पीछे होता है, उससे पहले मुख्‍य पृष्‍ठ पर जाने के लिए तीन पेज के विज्ञापन देखना जरूरी होता है। ठीक उसके बाद पिछले पृष्‍ठ पर होता है, भविष्‍यफल। पता नहीं कितने लोग पढ़ते हैं भविष्‍यफल। मैं तो रोज़ पढ़ता हूं, मेरी राशि और दूसरे राशि वालों का भी भविष्‍यफल पढ़ता हूं। फिर खोजता हूं, उन मित्रों का जिनका भविष्‍य अधर में लटका बताया जाता है या फिर उन मित्रों को जिनका उज्‍ज्‍वल भविष्‍य दिखाया जाता है। हर पांचवे दिन मेरी राशि का भविष्‍य रिपीट हो जाता है। मैं उसे नेता के भाषण की तरह आत्‍मसात कर लेता हूं, सोचता हूं कि इस बार का भविष्‍य ज़्यादा सार्थक होगा।

अखबार शाम तक पुराना हो जाता है। घर के सभी लोग ऊब चुके होते हैं, सीरियल में खो जाते हैं। मैं शाम को टी.वी. के सामने बैठ जाता हूं समाचार सुनने और देखने के लिए। कल मेरा भविष्‍यफल क्‍या बतायेगा इसलिए नहीं, बल्कि इसलिए कि रात के समाचार पत्रों में जिन नेताओं को लड़ते देखा था, उनके भविष्‍यफल में क्‍या आयेगा।

बड़ा अजीब लगता है। शाम के समाचारों में, पार्टी प्रमुख के साथ खड़ी होती है पार्टी लेकिन अखबार कहता है उसमें कुछ टूटन है बाकी। कुछ सदस्‍य या तो निकाले जाएंगे या फिर वे पार्टी छोड़कर चले जाएंगे। विपक्षी गिद्ध, पार्टी कार्यालय के आसपास मंडराते हैं, कोई निकलकर बाहर आए या निकाला जाए धर दबोचें उसे। अखबार का भविष्‍यफल गलत नहीं होता। भगवान के यहां देर है, अंधेर नहीं, अखबार का भविष्‍यफल भी उसी तरह होता है। इस सप्‍ताह नहीं तो अगले पांच सप्‍ताह में कभी तो सही होगा। भविष्‍यफल को अखबारों की भाषा में अटकल कहते हैं। अखबार नवीस किसी भगवान से कम नहीं होता। उसके जासूस शोले के हरिराम नाई की तरह पार्टी में जाने कहां-कहां घुसे पड़े होते हैं।

भविष्‍यफल में भी इसी तरह लिखा होता है। आग, पानी से दूर रहो जीवन को खतरा हो सकता है। रिश्‍तेदारों से दूरी बनाये रखे, अपनों पर विश्‍वास उतना ही करो जितना लाभदायक हो। रामायण और महाभारत ने भी यही कहा है, आपका दुश्‍मन आपके घर में है। जब घर में रार हो, सत्‍ता के लिए रार हो, उसी तरह जब शरीर में खाज हो, खुजा तो सकते हैं, खुजाने में आनंद भी आता है, लेकिन जब खाज में दाद मिल जाए तो फिर उसे खुजाने में आनंद कम तकलीफ ज़्यादा होती है। आप वहां खुजाने लगते हैं जहां नहीं खुजाना चाहिए, लेकिन आपकी मजबूरी है, दाद में खाज होने पर आप निर्लज्‍ज हो जाते हैं।

दाद को खुजाने में और घर की रार में स्‍वयं को आनंद नहीं आता है। दाद में जब खाज हो जाती है, तो बाहर वालों को इस खुजाऊ प्रदर्शन में आनंद आता है। घर में रार हो, पर दरार न हो। घर में रार और दरार दोनों हैं तो भविष्‍यफल में विभाजन ही आएगा।

चुनाव सर पर हैं और गिद्ध बाहर बैठे हैं। भीतर की रार, कल के अ‍खबार में भविष्‍यफल तय करेगी। ग्रह में शनि उच्‍च स्‍थान पर पूरी नीचता के साथ विराजमान है, कष्‍ट निवारण के लिए झम्‍मन की मदद ली जा सकती है।

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