प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभा में अपनी तमाम योजनाओं का गुणगान करना कभी नहीं भूलते हैं। चाहे वो चुनावी रैली हो या फिर लालकिला का प्राचीर। वे अपनी चार साल की उपलब्धियों पर खासा ध्यान देते हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से माननीय अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा प्रधानमंत्री की सारी योजनाओं पर भारी पड़ रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी के देहावसान के बाद से बीजेपी पूरी तरह से इसे भुनाने में लगी है। हरिद्वार में उनके परिवार जनों के साथ अस्थि विसर्जन का कार्यक्रम तक तो ठीक था लेकिन उनके अस्थि कलश को देशभर की सौ से ज़्यादा नदियों में प्रवाहित करने का बीजेपी का फैसला पूरी तरह से राजनीतिक लग रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने भी बीजेपी के इस रवैये पर आपत्ति जताई है।
इतना ही नहीं अस्थि कलश यात्रा में देश के कुछ राज्यों से जिस प्रकार की तस्वीरें सामने आई हैं वो हैरान करने वाली है। क्या बीजेपी अपने सबसे प्रभावी और देश के सबसे लोकप्रिय नेता की श्रद्धांजलि सभा में इस तरह की तस्वीरों से खुश है?भले ही विपक्षी पार्टियां इस संवेदनशील मुद्दे पर बीजेपी पर सवाल नहीं खड़े कर रही है लेकिन बीजेपी के लिए यह चिंता की बात है कि पिछले कुछ दिनों में उनके सारे नेता और मंत्री अपनी चार साल की सफलता के बारे में बताने की बजाय अस्थि कलश विसर्जन और स्मारक बनाने की घोषणा में लग गए हैं।
अचानक देश में मुद्रा लोन, डिजिटल इंडिया, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना और प्रधानमंत्री आवास जैसी योजनाएं केंद्र सरकार की मंत्रियों की जुबां से नदारद है, जो देश के नागरिकों के लिए और राजनीतिक पार्टियों के लिए चिंतनीय है।
अस्थि कलश को लेकर बीजेपी ने देश में जिस प्रकार का माहौल बनाने की कोशिश की है यह बीजेपी के लिए 2019 को लेकर एक बहुत बड़ी गलतफहमी साबित हो सकती है। अगर बीजेपी को लगता है कि वो अटल जी के नाम से दोबारा सत्ता में आ सकती है तो ये महज़ एक कल्पना है क्योंकि देश की जनता जानती है कि वाजपेयी जी के आदर्श और विचारधारा वाला नेता वर्तमान में बीजेपी के पास नहीं है और ना कभी होगा।
वाजपेयी जी की विचारधारा और वर्तमान बीजेपी की कार्यशैली में दूर-दूर तक का कोई मेल नहीं है इसलिए ये ज़रूरी है कि बीजेपी जितनी जल्दी हो सके इस बात को समझे कि 2019 की डगर इनके सहारे नहीं पार की जा सकती है और वो असल मुद्दों के साथ चुनाव में जाए।
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नोट: यह लेख पहले नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है।