नौकरियां कहां हैं? किसी को पता है? अकर्मण्यता के किस काल-खण्ड में जाकर छिप गई हैं नौकरियां? किसी को पता हो तो मोदी सरकार के भोले-भाले मंत्री श्री नितिन गडकरी को बताने का कष्ट करावें।
मोदी सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर औरंगाबाद में कहा है “मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है लेकिन नौकरियां नहीं हैं, क्योंकि बैंक में आइटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं, सरकारी भर्ती रुकी हुई हैं। नौकरियां कहां हैं?'”
“नौकरियां कहां है?” इस प्रश्न के साथ नितिन गडकरी ने मोदी सरकार के प्रतिवर्ष 2 करोड़ नौकरियां देने के वादे को करारा तमाचा मारा है।
“नौकरियां कहां है?” इस प्रश्न के साथ नितिन गडकरी ने अमित शाह के नौकरियां सृजन करने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाने के वादे को भी करारा तमाचा मारा है।
“नौकरियां कहां है?” इस प्रश्न के साथ नितिन गडकरी ने अपनी ही सरकार को आइना दिखा दिया है और देश के 60 करोड़ युवाओं को बता दिया है कि प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियां जुमला थी लेकिन पकौड़ा हकीकत है।
“नौकरियां कहां है?” इस प्रश्न के साथ नितिन गडकरी ने स्पष्ट कर दिया है कि मोदी जी द्वारा कही जा रही बात “नौकरियों का डेटा नहीं है” यह पूर्णतयाः गलत थी। इससे यह ही स्पष्ट होता है कि वे जानते सब हैं, लेकिन बताते नहीं हैं।
जिस मासूमियत के साथ इन्होंने ये ‘प्रसून प्रश्न’ पूछा है कहीं इन्हें भी उसी परम शक्ति द्वारा परोक्ष रूप से पदच्युत ना करवा दिया जाए। खैर, किसी ने तो सच बोलने का साहस दिखाया। अन्यथा अब तक जनता को गुमराह ही किया जा रहा था।
सच तो यही है कि नौकरियां नहीं है, स्टार्ट अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं से जो कामयाबी अपेक्षित थी, वह नहीं मिली है।
ज्ञातव्य रहे कि इस देश में हर वर्ष 1.20 करोड़ युवक और युवतियां डिग्रियां लेकर रोज़गार के बाज़ार में आते हैं, मगर नौकरियां नहीं हैं।
इस देश के करोड़ों युवाओं के रोज़गार का आकाशदीप बनकर आई BJP सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतर पाई, यह सत्य है। और अब यह सत्य नितिन गडकरी के श्रीमुख से बाहर भी आ गया।
अब तय इस देश के युवाओं को करना है कि आंखों के सामने पड़े इस सत्य को पहचानना है या अब भी साम्प्रदायिकता में ही उलझे रहना है।