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‘महजबीं बानो’ से ‘मीना कुमारी’ और फिर ‘ट्रैजेडी क्वीन’ बनने का सफर

अगर दिलीप कुमार भारतीय सिनेमा के “ट्रैजडी बादशाह” हैं, तो मीना कुमारी “ट्रैजेडी क्वीव” हैं। अगर आज मीना कुमारी ज़िंदा होतीं तो अपना 85वां जन्मदिवस मना रहीं होती। कल यानी 1 अगस्त को मीना कुमारी का जन्मदिन था। आइये इस मौके पर जानते हैं मीना कुमारी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को, मुम्बई में हुआ था। मीना कुमारी का असली नाम ‘महजबीं बानो’ था।
महजबीं से मीना कुमारी बनने का सफर भी काफी दिलचस्प रहा। फिल्मी दुनिया में कदम रखने के लगभग 8 साल बाद उन्हें मीना कुमारी के नाम से जाना जाने लगा। उनका ये नाम उनकी फिल्म के निर्देशक विजय भट्ट ने दिया था।  विजय भट्ट ने मीना कुमारी को तीन नाम दिए थे, प्रभा, कमला, मीना। अंत में मीना कुमारी ने अपने लिए ‘मीना’ नाम चुना। तब से वो मीना कुमारी के नाम से जानी जाने लगीं।

मीना कुमारी का उपनाम ‘मंजू’ था। मीना कुमारी को, 1952 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘बैजू बावरा’ से असली पहचान मिली। इस फिल्म ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। इस फिल्म के लिए उन्हें बेहतरीन अदाकारा का अवॉर्ड भी मिला। बैजू बावरा के अलावा परिणीता, दीदार, श्रद्धा, दिल अपना और प्रीत पराई, पाकीज़ा और साहब बीबी और गुलाम, मीना कुमारी की अन्य मशहूर फिल्में रहीं।

साहब बीवी और गुलाम में मीना कुमारी

1962 में आई फिल्म ‘साहब बीवी और गुलाम’ ने मीना कुमारी को बुलंदियों के आसमान पर पहुंचा दिया। इस फिल्म को समाज के सभी वर्गों ने खूब सराहा।

‘पाकीज़ा’ मीना कुमारी की एक बेहतरीन फिल्म रही, जिसको आज भी लोग बहुत पसंद करते हैं। इस फिल्म को बनने में 14 साल लगे थे। इस फिल्म के डायरेक्टर उनके पति कमाल अमरोही थे।

फिल्म पाकीज़ा में मीना कुमारी

1964 में मीना कुमारी का उनके पति से तलाक हो गया। कहते हैं कि मीना कुमारी अपने तलाक को बर्दाश्त नहीं कर पाईं, उन्हें शराब पीने की बुरी लत लग गयी जिसने बाद में उनकी जान भी ले ली।

मीना कुमारी एक ‘शायरा’ भी थीं। मीना कुमारी हमसे दूर जा चुकी हैं, लेकिन अपने यादगार किरदारों की वजह से और बेहतरीन गीतों की वजह से वो आज भी हम सब के बीच हैं।

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