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“अगर सरकार को सच में अच्छे दिन लाने हैं तो भाषण की जगह काम करना होगा”

2014 लोकसभा चुनाव के प्रचार में बीजेपी का सबसे अहम मुद्दा महंगाई और भ्रष्टाचार था। बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जहां जाते थे कॉंग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते थे। अपने हर भाषण में कहते थे इस निकम्मी सरकार की गलत नीतियों की वजह से देश में भ्रष्टाचार और महंगाई बढ़ी है।

उस समय जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमत आज के मुकाबले बहुत कम थी। 2014 में मोदी जी का नारा था ‘अच्छे दिन आने वाले हैं मोदी जी लाने वाले हैं’ आज महंगाई अपने चरम पर है और बीजेपी के नेताओं को लगता है इसका कारण मनमोहन सरकार है।

जनता से पूर्ण बहुमत देने की अपील-

वर्तमान सरकार से सवाल है क्या आपको देश की जनता ने पूर्ण बहुमत सिर्फ पिछली सरकार पर आरोप लगाने के लिये दिए थे या जनता ने आपको पूर्ण बहुमत इसलिए दिए थे ताकि आपलोग बिना किसी रुकावट के देश के लिये काम कर सकें और महंगाई से त्रस्त जनता के दुखों का समाधान कर सकें?

मोदी सरकार गंगा नदी की सफाई की बात करती थी, आज इसपर बीजेपी का कोई नेता किसी टीवी डिबेट पर बात नहीं करता है, खासकर संबित पात्रा जो खुद को अटल हिन्दू मानते हैं। मोदी सरकार ‘जहां सोच वहां शौचालय’ की बात करती है लेकिन इस सरकार ने जितने भी शौचालय बनाये उनमें से कई शौचालयों में शौच के लिये व्यवस्था नहीं है।

सिर्फ भाषण में बड़ी बातों का ज़िक्र कर देने से देश में सबकुछ ठीक तो नहीं हो सकता है, ज़रूरत सही से सबकुछ लागू करने की है। जनता को फायदा तभी मिल सकता है जब सरकार गरीबों के लिए ईमानदार होगी, जो आज दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।

बेरोज़गारी

मोदी जी अपने भाषण में कहते थे अगर उनकी सरकार आई तो हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोज़गार देंगे। आज हिंदुस्तान में रोज़गार का क्या हाल है ये किसी से छिपा नहीं है। युवाओं को हर दिन डिग्रियां तो मिल रही हैं लेकिन रोज़गार नहीं। युवा परेशान है, हतास, निराश इधर-उधर घूम रहा है। समझ में नहीं आ रहा है डिग्री लेकर क्या करेंगे अगर रोज़गार ही नहीं मिल रहा है तो।

सरकार नौकरी देने के लिये परीक्षा तो ले रही है लेकिन उसका परिणाम आने में इतना समय लग जाता है कि युवा निराश होकर गलत कदम उठाने लगते हैं। सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि इस देश की नई पीढ़ी को सम्मान दे। आने वाले समय यही नौजवान इस देश के इतिहास को लिखेंगे।

किसानों की आमदनी को दोगुनी कर देंगे

मोदी जी कहते थे अगर उनकी सरकार आई तो किसान भाईयों की आमदनी को दोगुनी कर देंगे, उनको उनके फसल का वाजिब दाम दिया जायेगा। आज देश के किसान की क्या हालत है ये देश की जनता और सरकार को भी पता है। किसान हर दिन आत्महत्या कर रहे हैं अपने हक के लिये लड़ रहे हैं लेकिन किसान गांवों में रहते हैं तो उनकी आवाज़ मीडिया और सरकार तक नहीं पहुंच पाती है। ना तो समय पर कर्ज़ माफ किया जा रहा है और ना ही उनकी आमदनी दोगुनी हुई है।

किसान भाईयों के हालात इतने खराब होते जा रहे हैं कि कोई अब खेती नहीं करना चाहता है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो समय दूर नहीं जब इस देश को अन्न कहां से आयेगा, क्या खायेंगे ये सब सोचना पड़ेगा। अगर किसान भाई नहीं तो देश भी नहीं रहेगा। सिर्फ भारत ही नहीं अगर किसान नहीं रहें तो ये दुनिया खत्म हो जायेगी। अगर पेड़ से हमें ऑक्सिजन मिलता है तो किसानों की मेहनत की वजह से ही हमें हर दिन भोजन मिलता है इस बात को कोई ठुकरा नहीं सकता है।

भ्रष्टाचार खत्म कर देंगे

2014 में मोदी जी की जनता से वो अपील जिससे उनको चुनाव में सबसे अधिक फायदा हुआ होगा,  EVM को अलग कर दें तो। हर भाषण में वो भ्रष्टाचार की बात जनता के बीच बहुत ज़ोर से रखते थे जैसे उनके पास कोई जादू की छड़ी हो। जब 2014 में पूर्ण बहुमत से उनकी सरकार आई तो मोदी सरकार ने एक बहुत ही अहम ‘नोटबन्दी’ का फैसला लिया और देश की जनता से कहा गया अगर जनता ने साथ दिया तो इससे देश में भ्रष्टाचार बहुत हद तक कम हो जायेगा।

लेकिन क्या ऐसा सच में हुआ? क्या जनता को इस से कोई फायदा हुआ? अगर गौर किया जाये तो परिणाम इसके बिलकुल उलट नज़र आते हैं। जब 1000 और 500 के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला लिया गया उसके बाद के हालात जनता की परिस्थिति को साफ-साफ दिखाते हैं। इस फैसले का सबसे ज़्यादा असर अगर किसी पर हुआ तो वो गरीब, किसान, छोटे-छोटे काम करने वाले लोगों पर हुआ। जो लोग बहुत मुश्किल से कुछ पैसा बचाकर अपना परिवार चलाते हैं।

इतना बड़ा जोखिम लेने के बाद भी इस देश को और जनता को कोई फायदा नहीं हुआ, लोग घंटे-घंटे भर अपने पुराने नोटों को बदलने के लिए लाइन में दिन-दिनभर खड़े रहें। बहुत लोगों की जानें भी गईं और फायदा क्या हुआ इसका पता सरकर को भी नहीं है।

इस फैसले से अगर किसी को फायदा हुआ तो सिर्फ बड़े-बड़े लोगों को हुआ, आम जनता को कुछ नहीं मिला।

पाकिस्तान और चीन को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिये-

मोदी जी बोलते थे अगर पाकिस्तान भारत की सरहदों पर हमले कर रहा है और चीन लाल आंखें दिखा रहा है तो इसका कारण सिर्फ कॉंग्रेस सरकार की गलत और कमज़ोर नीतियां हैं। अगर उनकी सरकार आई तो पकिस्तान और चीन को उसकी भाषा में जवाब दिया जायेगा। ऐसा हुआ क्या?

पाकिस्तान की ओर से सिज फायर घटने की जगह 4 सालों में और बढ़ा है। मोदी सरकार की नीति पकिस्तान पर असरदार नहीं हुई है अभी तक। सरकार के लिए अब सोचने का समय आ गया है क्या 2014 में जनता से किया गया वादा पूरा किया गया है?

अगर सच में जनता के लिये अच्छे दिन लाने हैं तो सरकार को भाषण की जगह काम करना होगा और किसी भी चीज़ के लिये पिछली सरकार को कोसना बंद करना होगा। सरकार को किसानों के हितों के लिये बड़े कदम उठाने होंगे।

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