कल शाम मेरे पी.जी में लड़कियों का शौर नहीं था, उनकी हंसी ठिठोली नहीं थी, टीवी पर बिग बॉग देख कर हम किसी भी कन्टेस्टेंट को जज नहीं कर रहे है, हम सब सीमा को टूटते हुए देख रहे थे। सीमा हरियाणा कि रहने वाली है, दिल्ली में जॉब करती है हमारे पी जी की सबसे बिंदास, मुंहफट, बेखौफ दिखने वाली लड़की, लेकिन कल वो गला फाड़-फाड़ कर रो रही थी, कल वो बेबस, लाचार, कमजोर सी दिख रही थी। हमने उससे पुछा की आखिर क्या हुआ है… उसने रोती हुई आवाज में सीने के सारे दर्द को उस एक वाक्य में बोल डाला मम्मी पापा मेरी शादी करवा रहे है…. मैं रोहन के बिना नहीं रह पाउंगी…
रोहन सीमा का बॉयफ्रेंड है जिससे वो घंटो तक बात करती है… ऑफिस से आकर, ऑफिस जाने से पहले, सोने से पहले… मैंने जब भी उसे फोन पर रोहन से बात करते देखा तो मुझे हमेशा मिठास ही नजर आई… हालांकि दूसरे कपल की तरह कभी-कभी वो दोनो भी लड़ते थे। लेकिन अब कोई फायदा नहीं इन बातों का क्योंकि सीमा की शादी तो उसके माता-पिता ने तह कर दी है। उसने घर में एक बार रोहन के बारे में बताया था तो उसे रोहन को भुलने के लिए कहा गया और उसके बाद रोहन नाम के जिक्र पर भी बैन था। हम सब 10 लड़किया सीमा के पास बैठी थी… कोई सीमा के लगातार बह रह आंसू को पोंछ रही थी, कोई उसके सर पर हाथ फेरती, कोई उसके हाथों को जकड़ कर बैठी थी… बाकी उसके आस-पास। हमने उसे सांत्वना देते हुए कहां की घरवालों से फिर से बात कर, वो शायद समझे… सीमा रोते हुए चिल्ला उठी वो नहीं समझेंगे, पापा कभी नहीं करेंगे रोहन से मेरी शादी। तभी एक लड़की ने कहा अगर रोहन राजी है तो भाग के शादी कर ले… सीमा रोते हुए कहने लगी नहीं पापा की बहुत बदनामी हो जाएगी… मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी। सीमा ऐसे ही रोते रोते बड़ी मुश्किल से सोई और हम सब अपने-अपने कमरे में चले गए। मैं देर रात तक सोचती रही कि सीमा एक लड़की है और वो एक लड़के रोहन से प्यार करती है लेकिन फिर भी उसके माता-पिता उसकी शादी अपने पसंद के लड़के से करा रहे है, वो सीमा की पसंद रोहन से एक बार मिलना भी नहीं चाहते, तो फिर हमारे देश में #377 का इतना जश्न क्यूं मनाया गया था। क्यूं सुप्रीम कोर्ट ने इतने सारे पेंडिंग केस को छोड़कर #377 पर कानून सुनाकर फिजूल का वक्त बरबाद किया। हमारे देश में शादी और प्यार के मामले में देश का कानून आंखो पर पट्टी लपेटे होता है असल में तो घरवालों का कानून चलता है। जब सीमा और रोहन एक ही जाती धर्म के होने के बाद भी एक दूसरे के नहीं हो सकते, तो #377 कैसे एक दुसरे का हो जाएगा। घरवालों से छुपाकर तो कानून के बिना भी आज बहुत कुछ भी किया जा सकता है। क्योंकि हर घर में कानून नहीं घरवाले छाकतें है।
कानून चाहें कोई भी हो, कितने भी हो… जब तक समाज की कचेरी में उसकी स्याई हर कमीज पर नहीं छपेगी तब तक न जाने कितनी सीमा हर रोज रोती हुई सोएगी। इतने सालों बाद भी ये समाज ऊंच-नीच, इंटर कास्ट मेरिज से बाहर नहीं निकला पता नहीं कब #377 अपनाया जाएगा, क्योंकि #377 को लेकर बने जोक्स से ये आसानी पता लगा सकते हो की आज के युवाओं में भी #377 मजाक ही है। #377 का हाल भी भगतसिंह की कहावत जैसा ही है कि भगतसिंह हो, लेकिन पड़ोसी के घर में। यानि मेरे घर का बच्चा तो अपोजिट सेक्स में ही शादी और प्यार करेगा, लेकिन दूसरो के लिए हमारे मन में सांत्वना है हम उसे जरूर अपनाएंगे।