आए दिन महिलाओं पर होने वाले अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा मामले दुष्कर्म के हैं। हम महिलाओं के बिना किसी समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। आजकल हम चारो तरफ देख रहे है की महिलाओं पर दिनादिन अपराध बढते जा रहे है,उन अपराधो को काबू करने की जरुरत है……
ऐसा अक्सर देखा जाता है की अगर शादी के वक़्त ससुराल पक्ष के मन-मुताबिक दहेज़ न दिया गया तो नवोदित दुल्हन से ससुराल में रोज़ दुर्व्यवहार, मारपीट और बदसलूकी की जाती है। हर रोज़ हजारों लड़कियां इस सामाजिक राक्षस का शिकार बन रही है।
महिलाएं लगातार हिंसा का शिकार हो रही है। इस हिंसा के कई रूप होते है जैसे घरेलू हिंसा, सार्वजानिक स्थान पर हिंसा, शारीरिक हिंसा, मानसिक हिंसा इत्यादि। महिलाओं में हिंसा का डर इस कदर घर कर गया है की वे अपने पसंदीदा क्षेत्रों में खुलकर भागीदारी भी नहीं कर पा रहीं हैं। महिलाओं के प्रति होती इस क्रूरता ने उनके दिलों-दिमाग पर गहरा असर डाला है। ऐसा लगता है की अगर समाज से हिंसा को पूरी तरह मिटा भी दिया जाए तब भी शायद महिलाओं के ज़हन से हिंसा का नामो-निशान मिटा पाना मुश्किल होगा।
घरेलू जिंदगी की बात हो या फिर किसी सार्वजानिक समारोह के आयोजन का किस्सा हो महिलाओं को हर जगह पुरुषों द्वारा अपमानित किया जाता था, उनका शोषण किया जाता था, यातनाएं दी जाती थीं।
हमारे समाज में बढ़ते दहेज़ प्रथा के चलन से यह साफ़ प्रमाणित होता है की महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को कभी भी खत्म नहीं किया जा सकता। दहेज़ प्रथा ने समाज में नाबालिग लड़कियों के रुतबे तथा प्रतिष्ठा को कम किया है।
महिलाओं के प्रति होती हिंसा में लगातार इज़ाफा हो रहा है और अब तो ये चिंताजनक विषय बन चुका है।यह वह भारतीय समाज है जहाँ महिलाओं को देवी समान पूजा जाता है जबकि महिलाएं खुद को बेसहारा और बेबस महसूस करती हैं। वेदों में नारी को माँ कहा गया है जिसका मतलब है जो जन्म देने के साथ-साथ लालन पोषण भी करती है। वहीँ माँ इस पुरुष-प्रधान सोच वाले समाज में खुद को दबा कुचला हुआ मानती है।
दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के करवाये गए सर्वेक्षण में यह पाया गया की औसतन 100 में से 80 महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है।स्कूल तथा कॉलेज जाने वाली छात्रायें भय के साये में जी रही है। जब भी वे घर से बाहर निकलती है तो सिर से लेकर पैर तक ढकने वाले कपडे पहनने को मजबूर है।
हमारी सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए । स्पयैमहिलाओं को भी अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों, शोषण, हिंसाओं को रोकने के लिए हिम्मत जुटानी चाहिए । तभी वह समाज एवं राष्ट्र में अपनी पहचान बना सकेंगी ।…………..