आओ सुनाऊं तुम्हें कहानी आज के भारत देश की,
विश्वगुरु से भारत का जो बचा है उस अवशेष की।
मैं भारत हूं ढूंढ रहा हूं देश के सच्चे बेटों को
जो औकात दिखा सके राजनीति के सेठों को
जाति-धर्म के नाम पर हर रोज़ लाशें बिछती हैं यहां,
राजनीति के हथकंडों से आम जनता पिसती है यहां।
जो फकत देशहित की बात करे, ऐसा सच्चा ईमान नहीं दिखता
जो इंसान को सिर्फ इंसान माने ऐसा कोई इंसान नहीं दिखता।
कभी राम, कभी बाबरी, कभी अंबेडकर के नाम पर जलता है मेरा देश,
कभी विश्वगुरु था अब रसातल की ओर जाने को मचलता है मेरा देश।
हज़ारों निर्भया के जिस्म से हवस की आग बुझाई जाती है
कभी खिलजी से बचने को पद्मिनियों की चीता सजाई जाती है,
कभी पैसे ना होने पर लाशें भी बेच दी जाती हैं यहां
मगर साहबों को करोड़ों की ज़मीन भेट दी जाती हैं यहां।
हर रोज़ किसान आत्महत्या को मजबूर हो जाते हैं यहां
सैनिक देश की रक्षा को घर परिवार से दूर हो जाते हे यहां
सैनिक और किसान के नाम पर वोटों की भीख मांगने आते हैं यहां
मगर पद को पाते ही नेता सत्ता के नशे में चूर हो जाते है यहां।
अब नेताओं को दरबारों से सड़क पर लाना होगा
जिस लोकतंत्र का देखा था सपना उसको पाना होगा।
सत्ता की चौखट छोड़ कलम को नई कहानी लिखनी होगी
बहुत हुआ अब भगत सिंह की याद-ए-जवानी लिखनी होगी।
विश्वगुरु बनने के ख्वाब संजोता भारत देश है
चीख-चीख कर अपने हाल पर रोता भारत देश है,
सत्ता की चंगुल में फंस चीत्कारता भारत देश है
जागों युवाओं गौर से सुनो पुकारता भारत देश है।