एक ऐतिहासिक उपलब्धि है ये! आज सुप्रीमकोर्ट ने समलिंगी आकर्षण को गलत मानने की कुप्रथा पर प्रहार किया है! पर अभी मंजिल दूर है! कैसा भी सेक्सुअल आकर्षण या व्यवहार गलत नहीं है! अब अगर किसी को छोटे बच्चों को देखकर सेक्सुअल भावना जागती है, तो इसमें कोई गलती नहीं है, ये तो नैसर्गिक व्यवहार है! सामाजिक नैतिकता बदलती रहती है! कुछ वर्षों पहले हमारी महिलाएँ पूरे शरीर ढकाऊ कपडे़ पहनती थीं, आज मिनी स्कर्ट टाप पहनकर घूमती हैं, और इसमें कोई बुराई नहीं है! पर हमें और आगे जाना है, हम चाहते हैं कि हमें स्वतंत्र रूप से सभी जगह,सभी महिलाओं पुरुषों बच्चों को निर्वस्त्र घूमने की आजादी मिले, इसमें कोई अनैतिकता नहीं है! ये तो सेक्सुअल स्वतंत्रता है! सभी तरह के पोर्न को खुली छूट मिलनी चाहिए! वैश्यालयों को छूट मिलनी चाहिए! सार्वजनिक चुंबन को आज बुरा नहीं माना जाता, सार्वजनिक सेक्स की भी आजादी मिलनी चाहिए! आज के आधुनिक नैतिकतावादियों को मेरी बातें अत्याधुनिक तो नहीं लग रही न!