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हिंदी-दिवस: पुन्यतिथि विशेष

***हिंदी दिवस:पुन्यतिथि विशेष***

हिंदी दिवस की ६९वीं पुन्यतिथि की हार्दिक शुभेच्छा।विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में आज उफनेगा हिंदी के प्रति अमर प्रेम,जो साँप के फन से भी खतरनाक और बिषपूर्ण होगा।लेकिन सुखद यह है कि इस प्रेम की समयसीमा महज चौबीस घंटे है।

कॉलेज के कैंपसों में निकले हिंदी के इस ज़नाज़े पर प्रोफेसर्स चढ़ाएगें अपने भाषणों के कफ़न,तो वहीं छात्र अपने तालियों की गड़गड़ाहट से सौपेंगे अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।पर कॉलेज का चपरासी दुबककर कहीं कोने में इंतज़ार करेगा ज़नाजे पर चढ़े परसादी का यानि लड्डू,समोसा और कोल्ड्रिंक का,ठीक हिंदी की तरह।कॉलेज के चपरासी को हिंदी कह सकते हैं आप।परन्तु प्रोफेसर्स और छात्रों को कहेंगे तो मैं सहमत नही हूँ।

तेरही और श्राद्ध के रूप में आयोजित किए जाएँगे हिंदी पखवाड़े।आयोजित होंगी काव्य गोष्ठियाँ,जिसमें हमें विश्वास दिलाया जाएगा कि हिंदी दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है,इस कारण ज्यादा टेंशन न लिया जाय।हिंदी विकास के चरम अवस्था पर है।अंग्रेजी में लिखिए ,पढ़िए और मस्त रहिए बस साल भर में एक दिन हिंदी में भी थोड़ा बहुत उगिलिए,बस और क्या।

ये प्रोफेसर्स भी अज़ीब प्राणी हैं।ये सरहपा से लेकर कबीर,जायसी सूर, तुलसी,बिहारी होते हुए भारतेंदु और करुण कमल तक हिंदी का कुल इतिहास-भूगोल उड़ेल देंगे।बताएँगे हिंदी के अबाध प्रगतिशीलता को,परन्तु नही बताएँगे ज़नाज़े के पीछे वाली कहानी।

सरकार के प्रतिनिधि विदेशों में हिंदी में बोल कर आते हैं तो उनका करेजा ऐसे फूला रहता है मानो गद्दा बांधे हो।बाजा फाड़ कर आ रहे है।पर कितने दुर्भाग्य की बात है कि देश में आगमन करते ही इनका कुल हिंदी-प्रेम बिला जाता है।लोग बाहर के सजावटीपन में हिंदी के खोखलेपन को नज़रअंदाज कर देंगे।

हिंदी के नाम पर बड़ा,बड़ा फेंकनेवाली सरकारों और इनकी मशीनरी की इतनी भी अवकात नही है कि सिविल सेवा के निबंध और सामान्य अध्ययन का पेपर तक हिदीं में बना दें।इसके लिए भी इन्हे साफ्टवेयर से ट्रांसलेट की दरकार पड़ती है।

आज के दिन ‘हिंदी हैं हम’ का लमहर बैच लगानेवाले साल के बाकी तीन सौ चौसठ दिन हिंदी में लिखते वक्त शर्म का एहसास करते हैं।भगवान करे इनका शर्म बरकरार रहे।हिदीं की मृत्यु शैया पर इनका मूतना जायज है, क्योंकि नल और कुओं का पानी मर जाने से ये बिसलरी और केंट का पानी पीते हैं।भगवान ये भी करे कि एक दिन पूरा देश पीने के पानी के लिए केंट और बिसलरी पर निर्भर हो जाए और एक साथ,एक समय इतना तेजी से मूते कि हिंदी उसमें उपस्थित केवल यूरिया की मात्रा से सुलगकर खाक हो जाए।जय हो।

#राम_नाम_सत्य_है
#RIP_Hindi

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