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क्या ‘एक ज़िला एक पर्यटन’ से बदलेगी यूपी टूरिज़्म की तस्वीर

एक ज़िला एक टूरिज़्म योजना, क्या उत्तर प्रदेश टूरिज़्म की तस्वीर और तकदीर बदल पाएगा? इसका जवाब आने वाले समय में मिल जाएगा।  क्योंकि टूरिज़्म के मामले में देश का सबसे बड़ा प्रदेश दूसरे राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान के आगे नहीं ठहरता।यहां पर टूरिज़्म को सही तरीके से विकसित नहीं किया गया है।

घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने एक ज़िला एक टूरिज़्म योजना को मंज़ूरी दे दी है। राज्य सरकार का मानना है कि घरेलू पर्यटन के लिए राज्य में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

उत्तर प्रदेश में कई पर्यटन स्थल हैं जिनकी उपेक्षा कई वर्षों से हो रही है। यही कारण है कि ताज महल को वैश्विक धरोहरों की सूची में अभी तक नहीं शामिल किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार के अथक प्रयास से ताजमहल को यूनेस्को ने वैश्विक विरासत में शामिल किया है। एक ज़िला एक टूरिज़्म योजना से सबसे ज़्यादा लाभ उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों (इलाहाबाद, वाराणसी, अगरा, लखनऊ और मथुरा) को होगा। प्रदेश के इन बड़े शहरों की अगर बात करें तो ये राज्य ही नहीं पूरे देश और विदेश में प्रसिद्ध है।

हर शहर अपनी महत्ता के लिए जाना जाता है। इलाहाबाद जहां तीन नदियों के संगम व कुंभ, महाकुंभ,अर्द्धकुंभ के लिए प्रसिद्ध है, वही बनारस को अस्था की नगरी के लिए जाना जाता है तो मथुरा को होली व कृष्ण जन्मभूमि के लिए। सरकार द्वारा अगर इस योजना को सही तरीके से लागू किया जाता है तो उत्तर प्रदेश विश्व फलक पर पर्यटक प्रदेश के रूप में ज़रूर जाना जाएगा।

लेकिन अगर योजना को सही तरीके से नहीं लागू किया गया तो नतीजे ढाक के तीन पात ही साबित होंगे। क्योंकि इससे पहले भी पिछली सरकारों द्वारा प्रदेश पर्यटन का कायाकल्प करने के लिए विलेज टूरिज़्म और हेरिटेज़ टूरिज़्म जैसी योजनाएं संचालित की गई थीं लेकिन योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकी।

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