“भारत में महात्मा गाँधी आज भी क्यों सारे ब्रांड्स के पिता है” नामक लेख पढ़ते समय मेरी जिज्ञासा उस लेख में लिखे तथ्यों को पार करने लगी। इसी जिज्ञासा के कारण मैं ओर शोध करने लगा कि ऐसा क्या है जो गांधी जी को आज भी विश्व प्रसिद्ध ब्रांड के रूप में स्थापित किये हुए है और उनकी ख्याति भारत की सीमाओं को पार कर अनेको देशों तक पहुंच गयी है।
एक साधारण सा आदमी हाथ में छड़ी लिए हुए अपने जीवन काल में महान उपलब्धि हासिल करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता से एक अहिंसा का विश्व प्रसिद्ध प्रतीक बन गया और लाखों लोगों को प्रभावित किया जिसमें से कुछ विश्व प्रसिद्ध हस्तियां हैं जैसे नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर। उस शख्स में अद्भुत क्षमताए थीं, हाथ में अहिंसा की मशाल लेना और पूरी ताकत से लगातार उन्हें प्रचारित करना जिसके कारण लाखों लोगों के दिलों में उन्होंने अपनी जगह बनाई|
क्या आपने कभी यह सोचा है की उन्हें इतनी शक्ति कहां से मिली और किस वजह से वह इतना प्रसिद्ध हुए ?
उनका सबसे अद्भुत गुण उनकी साधारण जीवन शैली थी। उन्होंने सब कुछ त्याग कर भारत की जनता से एक ऐसा नाता जोड़ लिया था जो उस समय के कई बड़े-बड़े नेता भी ना कर पाए। जिस समय भारत टूटी हुई अर्थव्यवस्था, भुखमरी और अंग्रेज़ी राज से जूझ रहा था उस समय सब कुछ त्याग कर गांधी जी ने भारत की आम जनता का दिल जीत लिया था।
उनकी आम ज़िन्दगी में कई चीज़े ऐसी थी जो उन्हें आम लोगों से सीधे जोड़ती थी जैसे की चरखा चलाना, धागा बनाना, साफ-सफाई करना व विदेशी वस्तुओं का त्याग करना। गांधी जी भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत अच्छे से समझते थे और निरंतर नए-नए तरीके से उसे मज़बूत करने के उपाय ढूंढते थे। वह भले खादी से बने कपड़ों का उपयोग व प्रचार हो, स्वरोज़गार को बढ़ावा देना हो या फिर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार हो।
वह निरंतर भारतीय लोगों को एकजुट करने के लिए प्रयत्न करते थे भले ही वो डांडी मार्च हो या फिर सविनय अवज्ञा आंदोलन हो यह सब गांधी जी के दिमाग की ही उपज थे।
अब गांधी जी की दिनचर्या की बात करते हैं। हाथ में एक लकड़ी लेकर चलना, चश्मा पहनना, साधारण सी चप्पल पहनना, एक कपड़े में लपटे हुए अर्धनग्न रहना इन सब आदतों ने उनके “अर्धनग्न फकीर” का खिताब दे दिया था जिसकी वजह से वह सबसे खास शख्सियत बन गए थे और उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही आम भारतीय के दिलो में।
गांधी जी एक प्रतिष्ठित व संपन्न परिवार में जन्मे थे और चंद भारतीय में से थे जिन्हें उस समय इंग्लैंड जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ था। जिस क्षण गांधी जी को डरबन में एक ट्रेन से गोरों ने दोयम दर्जे का नागरिक होने के कारण बाहर फेक दिया था, उस क्षण ने गांधी को बदल दिया था जिसके कारण गांधी का जीवन जो भारत में आज चर्चा का विषय है उससे पूरी तरह से भिन्न है। गांधी जी यह समझते थे की इंग्लैंड में पढ़ाई करने के बाद उनका दर्जा अंग्रेज़ों के बराबर हो जाएगा पर डरबन की घटना ने इन सब धारणाओं को कुचल दिया था।
उस घटना ने गांधी जी को लाखों भारतीयों की परिस्थितियों के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया था जो उस समय अंग्रेज़ों की प्रताड़नाओं से जूझ रहे थे। यह सब होने के बाद गांधी जी ने सब भारतीयों को एकत्रित किया और साउथ अफ्रीका में स्वतंत्रता हासिल कर पूरे विश्व में “पोस्टर बॉय ऑफ फ्रीडम स्ट्रगल” बन गए जिसके कारण उनको अखबारों का खूब कवरेज मिला और उनकी ख्याति विश्व में बढ़ने लगी।
राजनीती गांधी जी का स्वाभाविक गुण था। एक तो लॉ का स्टूडेंट होना और इंग्लैंड में समय बिताने के कारण वह अंग्रेज़ों की राजनीतिक चालें जैसे कि फूट डालो और राज करो आदि कलाओं को भली भाति जानते थे। गांधी जी ने साउथ अफ्रीका आंदोलन से जो ख्याति प्राप्त की थी उससे उन्हें एक स्वीकार्य और अनुभवी नेता का खिताब मिल गया था जिसके कारण गांधी जी भारत में शीर्ष नेतृत्व की भूमिका में आ गये और उन्हें बड़े-बड़े लोग जैसे की टाटा, बिरला आदि का सहयोग मिला।
भारत जिसने अब तक हिंसा को ही एक आंदोलन की तरह देखा था वहां अहिंसा को हथियार बनाकर सत्याग्रह, भूख हड़ताल और सविनय अवज्ञा आंदोलन से अंग्रेज़ों के होश उड़ा देने वाले दांव-पेच सिर्फ गांधी के दिमाग की उपज थी। उन्होंने अंग्रेज़ों के साथ ऐसा दांव खेला जिसमें अंग्रेज़ों के पास भारतीयों को जेल में बंद करने के अलावा कोई उपाय ही नहीं बचा था क्योंकि भारत की जनता अब अहिंसा का मार्ग अपना रही थी और अंग्रेज़ों के पास इतनी जेले भी नहीं थी कि वो हर भारतीय को उसमें कैद कर सके। इन सब गतिविधियों के कारण भारतीय जनता का विश्वास गांधी जी के नेतृत्व में होने लगा था और वह उनके साथ सर उठाकर ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ने के लिए एकजुट होने लगे थे। इसी वजह से 1947 में ब्रिटिश साम्राज्य को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और भारत एक स्वतंत्र देश बन गया था।
गांधी जी की लोकप्रियता समय के साथ बढ़ती ही जा रही है जो कि आज 183 देशों तक पहुंच गयी है। इसके पीछे उनकी कुछ क्षमताएं जैसे कि लाखों लोगों को एकजुट करना और अहिंसक तरीकों से आंदोलन करना जो कि उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। उनकी साधारण जीवन शैली व दिनचर्या और लोगो के दुःख दर्द को बांटना उन्हें कुछ बुद्धा के समान बना देता है ऐसा राघवेंद्र नायर ने अपनी किताब “महात्मा गांधी और बुद्धाज़ पाथ टू इनलाइटेनमेन्ट” में कहा है और यही कारण है कि गांधी जी के आज हमारे बीचमे ना होने के बावजूद भी उनकी ख्याति चारो दिशाओ में फैलती जा रही है और उन्हें “फादर ऑफ ऑल ब्रांड्स” कहा जाता है।