आज सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 377 पर अपना फैसला सुनाते हुए होमोसेक्शुएलिटी को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। इससे पहले आईपीसी के सेक्शन 377 के तहत अभी तक होमोसेक्शुएलिटी को अपराध माना गया था।
सबसे पहले 2001 में नाज़ फाउंडेशन ने सेक्शन 377 के खिलाफ याचिका दायर की थी। नाज़ फाउंडेशन ने कहा था कि एनजीओ के रूप में एचआईवी-एड्स पर काम करते हुए सेक्शन 377 उनके रास्ते की मुश्किलें बन रहा है।
जून 2016 में पांच यार्चिकर्ताओं ने सेक्शन 377 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें हाईकोर्ट ने होमोसेक्शुएलिटी को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिक संबंधों को वापस से अपराध की श्रेणी में डाल दिया था।
सेक्शन 377 के खिलाफ अभी तक कई लोगों ने याचिका दायर की है और आज के ऐतिहासिक फैसले में सभी का संघर्ष बराबर रूप से रहा है। यहां हम मिलवा रहे हैं आपको 5 याचिकाकर्ताओं से।
नवतेज सिंह जोहर-
नवतेज सिंह जोहर, संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से पुरस्कृत भरतनाट्यम डांसर और योगा इंस्ट्रक्टर हैं। नवतेज ने अपने पार्टनर सुनील मेहरा और 3 अन्य लोगों के साथ सुप्रीम कोर्ट में सेक्शन 377 के खिलाफ याचिका दायर की थी। लाइव मिंट को दिए अपने इंटरव्यू में नवतेज ने कहा था,
मैंने ये याचिक इसलिए दायर की है क्योंकि एक नॉर्मल गे मैन होने के नाते मैं खुद को इस देश का एक योग्य और ज़िम्मेदार नागरिक मानता हूं। सेक्शन 377 का कोई सेंस नहीं है, बस मेरा ओरिएनटेशन अलग है और ये अपराध बिलकुल भी नहीं हो सकता। समानता मेरा संवैधानिक अधिकार है।
नवतेज को अपने घर में उनकी होमोसेक्शुअल पहचान को लेकर कुछ खास संघर्ष नहीं करना पड़ा था। नवतेज के अनुसार, “मैंने जब अपनी मां को पहली बार अपने होमोसेक्शुअल होने की बात बताई थी तब उनकी पहली और सबसे बड़ी चिंता बस ये थी कि कि मैं अकेला रह जाऊंगा और कि मेरे पास कोई जीवन साथी नहीं होगा।” हालांकि नवतेज होमोसेक्शुअल सुमदाय के परिवार के अंदर के संघर्ष को नकारते भी नहीं हैं।
सुनील मेहरा-
पेशे से पत्रकार सुनील मेहरा की 1994 में एक स्टोरी के सिलसिले में नवतेज सिंह से पहली मुलाकात हुई थी। इसके छह महीने बाद ही दोनों ने एक दूसरे के साथ होने का फैसला किया।
सुनील का मानना है कि हमारे देश में होमोसेक्शुएलिटी को लेकर इतना बुरा नज़रिया भी नहीं है। उनके अनुसार, “अगर दो पुरुष हाथ में हाथ डाल कर चलते हैं या एक-दूसरे को गले लगाते हैं या फिर दो महिलाएं भी आपसे में गले लगाती हैं या हाथों में हाथ डालकर चलती हैं तो यह भारत में कई हद तक स्वीकार्य है। यहां समलैंगिकता को हमेशा स्वीकृति मिली है, बस कानून को समय के साथ तालमेल रखने की ज़रूरत है और इस मुद्दे पर इस तालमेल को बैठाने का समय आ गया है।”
सुनील मेहरा के अनुसार, इस उम्र में उनका कोई इरादा नहीं था कि वो गे राइट के लिए पोस्टर बॉय बनें लेकिन उन्हें इस लड़ाई के लिए सामने आना पड़ा क्योंकि ये सिर्फ कानूनी चूक का मामला नहीं है, इसमें एक मानव जीवन का मूल्य भी शामिल है।
रितु डालमिया-
रितु डालमिया एक मशहूर शेफ और एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट की मालकिन हैं। ये दिल्ली में स्थित मशहूर इटैलियन रेस्टोरेंट DIVA की को-ओनर और शेफ भी हैं। कलकत्ता में जन्मी रितु मारवाड़ी बिजनेस फैमली से हैं। इन्होंने सिर्फ 16 साल की उम्र में ही अपना फैमली बिजनेस ज्वाइन कर लिया था। 22 साल की उम्र में इन्होंने खुद का रेस्टोरेंट ‘MezzaLuna’, स्टार्ट किया।
खुद की पहचान लेस्बियन के रूप में बताने वाली रितु ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए वापस से होमोसेक्शुएलिटी को अपराध की श्रेणी में डालने के बाद याचिका दायर की थी।
अमन नाथ-
अमन नाथ की पहचान भारतीय कला और साहित्य विशेषज्ञ, होटल व्यवसायी और आर्किटेक्चरल रिस्टोरर के रूप में है। इन्होंने फ्रांसिस वैकजियार्ग के साथ मिलकर भारत की ऐतिहासिक इमारतों की मरम्मत और संरक्षण के लिए ‘नीमराना होटलों’ के चेन की स्थापना की। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन इंडस्ट्री में कॉपीराइटर और ग्राफिक डिज़ाइनर के रूप में की थी। ये INTACH के फाउंडर मेंबर्स में से भी एक हैं। इसके साथ ही इन्होंने इंडिया टूडे मैगज़ीन में बतौर आर्ट एडिटर के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई।
अमन नाथ, फ्रांसिस वैकजियार्ग के साथ रिलेशनशिप में थे और 23 सालों तक दोनों साथ रहें। 2014 में फ्रांसिस वैकजियार्ग की मौत हो गई। इन्होंने एक बेटी को गोद भी लिया है।
आयशा कश्यप-
बिज़नेस वुमन और एक्ट्रेस आयशा कपूर वर्तमान में खाद्य एवं पेय उद्योग में काम कर रही हैं। इन्हें फिल्म ‘ब्लैक’ से फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली थी, इस फिल्म में उन्होंने रानी मुखर्जी का बचपन का किरदार निभाया था।