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“योगी जी शिरोज़ कैफे के साथ हम एसिड अटैक सर्वाइवर्स की हिम्मत भी टूटेगी”

आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी,

मैं आपको हमारे प्यारे राज्य उत्तर प्रदेश में शिरोज़ कैफे के बंद होने की खबर देना चाहती हूं। योगी जी, ये कैफे उन लड़कियों का मरहम था, जिनके चेहरे तेज़ाब से जला दिए गए थे। हमारी लाख कोशिशों के बावजूद, लखनऊ स्थित हमारे इस कैफे को खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं। हमसे कहा गया है कि इसके चलने की कोई ठोस वजह नहीं है। इस फैसले के बाद मेरे जैसी 20 और लड़कियां हैं, जिन्हें लगता है कि वो उस दलदल में वापस चली जाएंगी, जिससे वो बाहर निकली थीं।

माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपको बताना चाहती हूं कि शिरोज़ कैफे को हमारे देश के राष्ट्रपति ने नारी शक्ति सम्मान से नवाज़ा है और देश ही नहीं, विदेशों में भी लोगों ने इस अनोखे प्रयास की सराहना की है। शिरोज़ के टूटने से ना सिर्फ हमारा हौसला टूटेगा बल्कि इसकी मदद से एसिड अटैक का सामना कर चुकी 2 दर्जन लड़कियों को मिलने वाली मदद, ट्रेनिंग इत्यादि सब बंद हो जाएगी। ये कैफे हम जैसी लड़कियों का आखिरी सहारा है, अगर ये हमसे छिन गया तो ये बड़ा अन्याय होगा।

शिरोज़ कैफे प्रदेश भर में एसिड अटैक का सामना कर चुकी लड़कियों की मदद करता है। हम इन लड़कियों को ट्रेनिंग देते हैं, उन्हें दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत देते हैं और सिखाते हैं कि कैसे चेहरा जल जाने के बाद उम्मीद नहीं जलती है। मुझे अच्छी तरह याद है जब 8 मार्च, 2016 को मैं इस कैफे में उन लड़कियों से मिली थी, जिनका चेहरा मेरी तरह जला दिया गया था। एसिड अटैक के बाद हर लड़की अकेली पड़ जाती है, कोई साथ नहीं देता पर शिरोज़ ने इस बात को गलत साबित कर दिया। शिरोज़ कैफे हम सबकी हिम्मत बन गया।

जब हमने कैफे शुरू किया था तो मुझे इससे बहुत सारी उम्मीदे थीं। मुझे अच्छे से याद है कि कैसे शुरू-शुरू में कैफे में आने वाले लोग हमारे जले हुए चेहरे और हाथ देखकर असहज हो जाते थे लेकिन धीरे-धीरे चीज़ें सामान्य होती गईं, जीवन सामान्य होता गया। लखनऊ वालों ने और बाकी लोगों ने हमें बहुत प्यार दिया, सिर आंखों पर बिठाया लेकिन अब ये सब खत्म हो जाएगा।

अब 30 महीने बीतने के बाद, एक घर बना लेने के बाद, एक सम्मान भरी ज़िंदगी जी लेने के बाद अपने कैफे को कैसे टूटता हुआ देख सकते हैं। ये कैफे अकेले नहीं टूटेगा, इसके साथ काम कर रही हम 12 लड़कियां भी टूट जाएंगी। ये सब इसलिए क्योंकि प्रशासन खामोश हो गया है।

दो साल के समय में हमने अपने कैफे को आत्मनिर्भर बना लिया था। बिजनेस के लिहाज़ से नहीं लिखना चाहती पर ये बताना ज़रूरी है कि हमने 10 गुना तरक्की कर ली थी। हमने कैफे से ना सिर्फ यहां काम कर रही लड़कियों को वेतन दिया बल्कि सारे खर्चे खुद उठाए। अब इसमें काम कर रही 12 लड़कियों की नौकरी पर तेज़ाब फेंका जा रहा है, मानो उनके शरीर पर फेंका गया तेज़ाब कम था। यही नहीं 25 और लड़कियां, जिन्होंने एसिड अटैक का सामना किया है, इससे उनके इलाज और पुनर्वास पर असर पड़ेगा।

हम कैफे के टूटने पर चिंतित हैं पर उससे ज़्यादा चिंतित इस बात पर हैं कि वो सैंकड़ों लड़कियां, जो इससे गुज़रती हैं, उनकी हिम्मत भी टूट जाएगी। एनसीआरबी के डेटा के अनुसार हमारे उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा एसिड अटैक होते हैं और हमें मिलकर काम करना होगा ताकि ये आंकड़ा कम हो।

योगी जी, मैं बड़े दुख के साथ आपको बताना चाहती हूं कि हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है, सिवाय इसके कि हम प्रदर्शन करें। कैफे बंद हो जाएगा, हम उसके लिए तैयार हैं, हम सड़कों पर काम कर लेंगे। हमारे प्रदेश में बहुत सी ऐसी सड़के हैं और फुटपाथ हैं, जहां हम काम कर लेंगे। मैं बस यही आशा करती हूं कि इस परिस्थिति के लिए ज़िम्मेदार लोग बस इतना समझें कि हमने कितनी मेहनत से एसिड अटैक जैसे मुद्दे को मुख्यधारा से जोड़ा था और अब अफसोस ये बंद हो जाएगा।

मुख्यमंत्री जी, हम सरकार के खिलाफ नहीं हैं पर महिला कल्याण निगम और WCD द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर कर रहे हैं, जिसकी वजह से हमारी ये हालत की जा रही है। हमें इस गंभीर परिस्थिती में कुछ तो करना ही होगा ताकि इतने सारे लोगों का भविष्य अंधकारमय ना हो। मैं एसिड अटैक का सामना करने वाली हर लड़की की तरफ से अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगा रही हूं। योगी जी, कृपया आप जल्द कोई फैसला कीजिए और हमारी नौकरी-हमारे कैफे को बचा लीजिए।

हमारी मदद करिए।

आपकी मदद की आकांक्षी,
अंशू राजपूत
टीम शीरोज़ हैंगआउट, लखनऊ

अंत में आपसे अनुरोध है कि कोई भी निर्णय लेने के पहले शीरोज़ की अब तक की उपलब्धियों पर भी एक नज़र डालें-

1. 50 से ज़्यादा एसिड अटैक सर्वाइवर्स को मेडिकल, कानूनी और वित्तीय मदद दी। 12 को फुल-टाइम नौकरी दी और 25 अन्य लड़कियों के लिए नौकरी के प्रबंध करने की कोशिश की।

2. 10,000 से ज़्यादा अतिथियों की शिरोज़ कैफे में मेज़बानी की और इसके ज़रिए सोशल मीडिया में 10 लाख से ज़्यादा लोगों को एसिड अटैक के रोकने के विषय में जागरूक किया।

3. शिरोज़ मॉडल पर 50 से ज़्यादा डॉक्यूमेंट्री बनाई गई हैं, जिससे एसिड अटैक का सामना कर चुकी लड़कियों के पुनर्वास में सहायता हो और समाज में इस मुद्दे पर बात हो।

4. जर्मनी की फर्स्ट लेडी एल्के ब्यूडेनबेन्डा, हॉलीवुड के अभिनेता जेसन इसैक, मिस यूनिवर्स जीबी, संजय दत्त, राजकुमार राव, दिया मिर्ज़ा, इत्यादि जैसे कई सेलेब्रेटी यहां आएं और इस प्रोजेक्ट को अपना समर्थन दिया था।

5. इस कैंपेन को अमेरिका, जर्मनी तथा स्पेन की सरकार द्वारा भी सराहा गया और कई अन्य संस्थाओं द्वारा इसे सम्मान भी मिला।

6. सीएनएन-आईबीएन और एनडीटीवी जैसे मीडिया समूहों द्वारा इंडियन ऑफ द ईयर सम्मान और भारत के राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति सम्मान मिला।

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