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किसी सरकारी दफ्तर की खिड़की पर क्यों नहीं दिखता डिजिटल इंडिया

मैं जब भी किसी सरकारी दफ्तर की खिड़की पर पहुंचता हूं तो मेरे दिमाग में एक सवाल आता है कि कहां है वो डिजिटल इंडिया, जिसकी बात सभी करते हैं?

हाल की ही बात करता हूं, 2 दिन पहले मुझे एक 50 रुपए का स्टाम्प चाहिए था। मेरे पास पैसे नहीं थे इसलिए सुबह-सुबह दीदी को बोलकर मैंने 200 रुपए मंगवाए लेकिन 7  रुपए बैंक वालों ने काट लिए। अब तो भैया एटीएम से सिर्फ 100 रूपए निकले और मैं वही पैसे लेकर पहुंच गया रजिस्ट्रार ऑफिस। वहां पर एक नया ड्रामा था 50 रुपए का स्टाम्प वो 100 में बेच रहे थे।

अब पैसे तो उतने ही थे तभी किसी ने बताया कि खिड़की पर चले जाइए वहां इ स्टाम्प मिल जाएगा। वहां इ स्टाम्प मिल तो गया 50 रुपए में लेकिन एक मलाल फिर ये रह गया कि वहां हमें पेमेंट कैस में ही करना पड़ा।

मैं ये सोचने के लिए दोबारा मजबूर हो गया कि सरकारी दफ्तर में ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा क्यों नहीं है। ना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का डिजिटल पेमेंट है और ना ही Paytm की सुविधा।

अब हमें आदत हो गयी है अकाउंट या फिर Paytm में पैसे रखने की, तो भला बताइए कि ये सुविधा सरकारी खिड़की पर क्यों नहीं है? रेलवे स्टेशन की टिकट खिड़की हो या बस टिकट की खिड़की, कहीं पर भी डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं है।

आप भारत के किसी भी स्टेशन पर चले जाइए, आपको टिकट खरीदने के लिए कैश पेमेंट ही करना होगा तभी आपको टिकट मिलेगा वरना नहीं।

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