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Rejections सबको मिलते हैं

 

Rejections सबको मिलते हैं

Rejections सबको मिलते हैं। Rejections तरह तरह के होते हैं। उनमे से कुछ हमें affect करती हैं और कुछ नहीं करती।

Example के लिए यह एक situation देख लीजिये

Example के लिए यह एक situation देख लीजिये। यह रहा situation, मान लीजिये की आप ने एक job के लिए apply किया है पर आपने apply इसलिए किए है क्यूंकी apply करते time आप free थे या फिर आपके पास तब कुछ ज़्यादा करने को नहीं था। पर आपको उस job में कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी। आपने यह सोचकर apply किया होगा कि देखते हैं क्या होता है, एक experience होगा। मान लीजिये कि आपने ‘Written Round’ clear कर दिया और आप ‘Personal Interview’ के लिए select हो गए हैं। तो यह जानकार आपको थोड़ी सी खुशी होती है अपने काबिलियत के बारे में जानके। फिर आप Personal Interview के लिए जाते हैं, Interview देते हैं और फिर result के लिए wait करते हैं। Results आ जाते हैं और फिर आपको पता चलता है कि आपकी वहाँ नौकरी नहीं लगी। आपको थोड़ा दुख तो होता है पर यह आपको इतना अफफेक्ट नहीं करती क्यूंकी इस नौकरी में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी।

तो यह हो गयी उस rejection की बात जो कि आपको ज़्यादा affect नहीं करती और अब हम उन rejections के बारे में बात करेंगे जो आपको affect करती हैं।

 

Rejection के बाद

सब कहते तो हैं की हमें rejection के बाद move on करके फिर से try करना चाहिए दूसरी जगह या फिर उसी जगह, पर जब आप reject होते हो तो बहुत अजीब लगता है। हमें तो हममे ही बुराइयाँ नज़र आने लगती है। तब हम अपनी सारी अच्छाइयाँ भूल ही जाते हैं।

 

मेरे हिसाब से, rejection के बाद, हमें किसी भी activity में शामिल हो जाना चाहीये, चाहे वो कुछ भी हो (पर कोई बुरी चीज़ न हो), जैसे की गाने सुनना, movies देखना, motivational चीजों के इर्द गिर्द रहना, अपने experiences को कहीं लिखना, या फिर अपने आप को यह बोलना, “आगे सब सही होने वाला है। अपना काम करूंगा, सीखूँगा और बेहतर बनूँगा।”

 

Rejections पे control

अब उन चीजों के बारे में बात करेंगे जो आपके rejections कि वजहें हैं पर आपका उसमें ज़्यादातर control नहीं होता या फिर ना के बराबर होता है।

 

कोई audition हो, interview हो………

कोई audition हो, interview हो, business proposal की presentation हो या वगेरा वगेरा, तो उसके लिए हर individual की अपनी अपनी अलग तैयारी होती है और वो उस हिसाब से prepare होके जाता है/जाती है। पर आपको पता हो या न हो, उतना काफी नहीं होता। इसके लिए depend करता है कि आपको परखने वाले क्या समझते हैं और पता नहीं कि वो आपके नज़रीए को किस नज़रीए से देखें। हो सकता है कि अपने time के उनपे हुए अत्याचारों की कहानियाँ उनके दिमाग में घूम रही हों जिसका बदला वो आप से लेना चाहें।

 

आपको ऊपर से नीचे देखकर ही

कभी कभी तो ऐसा होता है कि आपको ऊपर से नीचे देखकर ही नापसंद कर लेते हैं और इंटरव्यू के दौरान आपके साथ सिर्फ खेलते हैं। पर क्या करें, organization/industry/company ने तो उन्हे ही भेजा है यह तय करने के लिए की आपको चुने या नहीं, चाहे उनके perspective संस्था के ज़्यादातर लोगों से मिलते हों या नहीं।

 

कोई भी perfect नहीं होता

कोई भी perfect नहीं होता, पर सबको भी नौकरी या फिर किसी चीज़ के लिए चुन नहीं सकते न। तो बुरे वाले तो निकलेंगे ही पर उनके साथ कुछ अच्छों को भी निकालना पड़ता है ताकि संस्था की population ज़्यादा बढ़ न जाये और संस्था के लोगों को माल पानी की कमी न हो जाये।

 

आप सही हो या नहीं, यह तो वो लोग ही decide करेंगे

मान लीजिये की पूछने वाले ने आपसे एक सवाल पूछा है या फिर कुछ करने को दिया है, तो फिर आप अपने तरीके और हिसाब लगाके उनको अपने performance की डेलीवेरी देते हैं, पर आप सही हो या नहीं, यह तो वो लोग ही decide करेंगे क्योंकि आप मांगने आए हैं और वो लोग लेने आए हैं…….. आपको अपनी company में……..शायद।

 

सही तो उनके लिए वो होगा जो वो सोचते हैं

सही तो उनके लिए वो होगा जो वो सोचते हैं या फिर जो उनको संस्था ने सीखके भेजा होगा क्योंकि उनकी सीख के आगे तो और कुछ उन्हे दिखाई नहीं देता होगा ….शायद। और अगर कोई उनको उसके बाहर कुछ दिखाना भी चाहे तो वो नहीं देखते क्योंकि इतना time लगाके, मेहनत करके, जी हुज़ूर करके इतनी चीज़ें सीखी हैं और आप कह रहे हैं कि उन सीखी हुई चीज़ों को use न करें।

 

ऊपर से आपने उनकी तारीफ नहीं की

और ऊपर से आपने उनकी तारीफ नहीं की। वो बिचारे यहीं तो आते हैं लेने…….तारीफ, वहाँ पता नहीं कब मिले। अगर आप इनकी यह छोटी छोटी help नहीं करेंगे तो वो आपकी help भला क्यो करें……..नौकरी या काम दिलवाने में। उनकी विचारधारा में अपनी विचारधारा को नहीं बहाओगे तो आप तो reject हो जाओगे न।

 

उस दिन तो अच्छा हुआ था

आप एक दिन आपको परखने वाले के सामने अच्छा नहीं कर पाते और आप सोचते हैं कि यार उस दिन तो अच्छा हुआ था, साला आज ही खराब होना था। क्या करें उस दिन आपका दिन ही नहीं था।

परखनेवाले ने सोचा होगा कि इसने तो घटिया काम किया है। एक ही परफॉर्मेंस से आपकी पर्स्नालिटी जज हो जाती है। वो भी क्या करे, उसे भी कितने लोगों को झेलना पड़ता होगा अच्छों को, बुरों को और उनको जिन्होंने उस दिन बुरा perform किया होगा।

 

 

आपको wait करना पड़ेगा अपनी सोच वाले से मिलने के लिए

और फिर आपको wait करना पड़ेगा अपनी सोच वाले से मिलने के लिए। सबकी सोच तो आप बदल नहीं सकते न क्योंकि हर individual अपने हिसाब से सोचता है, पता नहीं किसको क्या भाए। आप बस अपने काम को बेहतर बनाते जाईए और लगे रहिए।

 

एक बात बता दूँ कि यह सब काम मिलने तक सीमित नहीं है

एक बात बता दूँ कि यह सब काम मिलने तक ही सीमित नहीं है, उसके बाद भी यह च्छुप्पन च्छुपाई आपके ऊपरी माहाले वाले लोगों के साथ लगी रहती है। कहीं न कहीं यह बातें आपके पूरे जीवन में भी लागू होती है। मेरी बातें पढ़ने या सुनने के लिए धन्यवाद, शुक्रिया और Thank You।

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