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“आदर्श बहू का कोर्स चलाने वाली यूनिवर्सिटी को आदर्श बेटों का ख्याल क्यों नहीं आता?”

कुछ दिन पहले एक खबर आई थी कि बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) में आदर्श बहू का कोर्स कराया जाएगा। सुबह ये खबर आई, शाम तक सभी मीडिया हाउस ने कॉपी पेस्ट किया और खबर खूब चली और चलती भी क्यों नहीं? आदर्श बहू की बात थी। ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों ने इसे धड़ल्ले से शेयर किया।

शाम तक खबर खूब वायरल हुई और यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट की इतनी थू-थू होने लगी और बीएचयू प्रशासन को सफाई देनी पड़ी। बीएचयू आईआईटी की तरफ से बयान आता है कि उनके यहां तो ऐसा कोई कोर्स नहीं हो रहा है, कोर्स क्या, उन्होंने तो यंग इंडिया स्किल, बीएचयू में काम कर रही है इससे भी पल्ला झाड़ लिया। वो अलग बात है कि पिछले छह महीनों से वाराणसी के समाचार पत्रों में लगातार बीएचयू में यंग इंडिया स्किल के तहत चलाये जा रहे कोर्स की खबरें छपती रही हैं। लेकिन अचानक ये बयान, खैर…

अभी फिर से यही खबर आ रही है लेकिन इस बार जगह बदल गई है। खबर भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से आ रही है, जहां पर आदर्श बहू का कोर्स शुरू किया गया है।

अभी तक की मिल रही खबरों से मालूम चला है कि आदर्श बहू की कमी की वजह से घर टूट रहे हैं, लड़कियां आदर्श बहू की परिभाषा भूल गई हैं इसलिए ये यूनिवर्सिटी तीन महीने का कोर्स चलाएगी जिसमें उन्हें एक आदर्श बहू के सारे गुण सिखाये जाएंगे, ताकि घर टूटने से बच जाये। इतना ही नहीं इस कोर्स में लड़कियों को बात करने की तमीज़ से लेकर रहने-सहने का ढंग तक सिखाया जाएगा।

ये बात वो यूनिवर्सिटी कह रही है जो समय से ना रिज़ल्ट दे पाती है और ना परीक्षा करवा पाती है। वहां से इस तरह के बयान आना किस सोच को दर्शा रही है।

यूनिवर्सिटी वो जगह होती है जहां से देश का भविष्य तैयार होता है, क्या यही हमारे देश के भविष्य हैं? यही हमारे हिंदुस्तान का आने वाल कल है? अगर आदर्श बनाना ही है तो केवल लड़की को ही क्यों? लड़के को क्यों नहीं? क्या घर सिर्फ लड़कियों की वजह से टूटता है, लड़के उसमें दोषी नहीं होते? एक और सवाल, आदर्श बहू मतलब क्या? लड़के की हर बात मानकर, परिवार के हर इंसान का दिया ज़ख्म सहना ही आदर्श बहू की कहानी है। आखिर क्या है आदर्श बहू का मतलब?

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