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घोड़े और घुड़सवार की कमी से जूझती उत्तर प्रदेश पुलिस

राज्य सरकारें पुलिस सुधार को लेकर कितना सशक्त हैं इसकी जानकारी पुलिस विभाग में खाली तमाम पदों से लगाया जा सकता है। पुलिस सुधारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों को फटकार भी लगा चुकी है, लेकिन फिर भी कई राज्यों के पुलिस विभाग में पुलिसकर्मियों की कमी है।

उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के अनुसार प्रदेश में घोड़े और घुड़सवारों के पद खाली हैं। राज्य की सुरक्षा व्यवस्था 100 घुड़सवार सिपाहियों के भरोषे पर चल रहा है। जबकि घोड़ों की संख्या 200 के करीब है। पिछले एक दशक से विभाग में इन पदों के लिए भर्तियां नहीं कि गई है। घोड़े और घुड़सवारी की संख्या में कमी होना कई सवाल खड़े करती है। वो भी तब, जब यह हाल देश के सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले राज्य की हो तो समझ लीजिए की राज्य सरकारें प्रदेश की जनता की सुरक्षा को लेकर कितनी फिक्रमंद हैं। घोड़े और घुड़सवारी विभाग का गठन इसलिए किया जाता है ताकि दंगों व भगदड़ जैसी स्थिती से निपटा जा सके। लेकिन इसको लेकर राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाएं। ये हाल केवल उत्तर प्रदेश का नहीं है। देश के सभी प्रदेशों का हाल लगभग समान है।

वर्तमान समय में प्रदेश में घोड़े और घुड़सवारी करने वालों की जितनी संख्या है उससे कही अधिक इनकी ज़रूरत कुंभ मेलें में होती है। राज्य सरकार अगर सभी को कुंभ मेलें में भेज देती है तो प्रदेश में दंगा आदि को कैसे कंट्रोल करेगी? प्रदेश में इस विषय को लेकर जितना पिछली सरकारे ज़िम्मेदार हैं उससे कही अधिक वर्तमान सरकार भी क्योंकि जब से प्रदेश में बीजेपी(भारतीय जनता पार्टी ) की सरकार आई तभी से अगर इस विषय को संज्ञान में लिया जाता तो शायद अब तक राज्य को घोड़ों और घुडसवारियों की कमी से नहीं जूझना पड़ता।

प्रदेश के मुख्यमंत्री अगर 18 महीने की सरकार में सभी ज़िलों का भ्रमण कर सकते हैं और अपनी हर रैली में सुरक्षा ,विकास व युद्धस्तर की बात कर सकते हैं तो इस विभाग में खाली पदों को भी भर सकते थे।


नोट- फोटो आभार, फेसबुक पेज IG Range Moradabad

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