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“क्यों चाइल्ड मैरेज रोकने के लिए ज़िला और तहसील स्तर मुहिम चलाने की ज़रूरत है”

हमारे देश में बाल विवाह आज भी एक गंभीर समस्या है। बड़े शहरों में जिन जगहों पर जागरूकता है वहां तो हालात ठीक दिखाई पड़ते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में गरीबी की मार झेल रहे बच्चों के मां-बाप कम उम्र में ही उनकी शादी करा देते हैं।

ऐसी उम्र जहां दुल्हा और दुल्हन को शादी की रिवायतें तो छोड़ दीजिए, सात फेरे लेने के दौरान लिए गए वचनों को निभाने की समझ भी विकसित नहीं हुई होती है। Youth Ki Awaaz सम्मिट 2018 में अपनी बात रखते हुए ‘ममता हेल्थ इंस्टिट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड’ के फाउंडर डॉक्टर सुनील मेहरा ने बाल विवाह पर करारा प्रहार किया।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह वर्तमान समय की ही समस्या नहीं है, बल्कि हमारे समाज में यह सदियों से चली आ रही है। सबसे पहले तो आपको समझना पड़ेगा कि बाल विवाह के पीछे की वजह क्या है?

ये वे लोग होते हैं जिनका अपने आप पर से नियंत्रण खत्म हो जाता है। डॉक्टर सुनील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि इन चीज़ों का कोई असर धरातल पर नहीं दिखाई पड़ रहा है। इस देश के युवाओं को अब सोचना पड़ेगा कि 18 साल से कम उम्र में जो शादियां होती हैं, उनपर नकेल कैसे कसी जाए।

इतना ही नहीं बाली उम्र में शादी हो जाने के बाद बच्चियों को ज़बरदस्ती प्रेग्नेंसी के लिए फोर्स किया जाता है। कई दफा हालात ऐसे हो जाते हैं कि कम उम्र में प्रेग्नेंसी की वजह से बच्चियों की मौते हो जाती हैं। एचआईवी इंफेक्शन का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है।

उन्होंने बताया कि चाइल्ड मैरेज पर लगाम लग सके इसके लिए मुहिम तेज़ करने की ज़रूरत है। राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि ज़िले और प्रखंड स्तर पर भी हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए ताकि चाइल्ड मैरेज जैसी चीज़ों पर नकेल कसी जा सके। अपनी बातों को रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि कोशिश ऐसी होनी चाहिए जिससे आने वाले वक्त में चाइल्ड मैरेज खत्म हो जाए, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब बाल विवाह होने से बहुत सारी यंग लड़कियां अपनी जान गंवा चुकी होंगी। हमें ऐसा नहीं होने देना है।

15 साल से कम की उम्र में शादी होने से प्रेग्नेंसी के दौरान मौत होने की संभावनाएं पांच गुना तक और 18 साल से कम की उम्र में 2-3 गुना तक अधिक हो जाती हैं। कम उम्र में शादी होने से बच्चियों में ना सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान मौत की संभावनाएं बढ़ती हैं, बल्कि बच्चे और बच्चियों दोनों की शिक्षा भी अधूरी रह जाती है।

अंत में उन्होंने राजनीतिक दलों पर तंज कसते हुए देश की तमाम पार्टियों से कहा कि क्यों नहीं चाइल्ड मैरेज को लेकर ये पार्टियां अपना स्टैंड क्लियर करती हैं? उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि आप अपने-अपने ज़िले और तहसील स्तर पर चाइल्ड मैरेज को रोकने के लिए कोई प्रयास कीजिए और मुझे उम्मीद है कि आने वाले वक्त में चाइल्ड मैरेज जैसी चीज़ें खत्म हो जाएंगी।

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