सामाजिक संस्था द लिटमस टेस्ट प्रोजेक्ट (The Litmus Test Project) के को-फाउंडर ने अपने कैंपेन “महावोटर” के माध्यम से मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम किया है। रुबेन Youth Ki Awaaz सम्मिट 2018 के पहले सेशन “The Real Indian Superpower” में मतदान जागरूकता से संबंधित अपना अनुभव साझा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उन लोगों ने वोटर्स के रजिस्ट्रेशन का कैंपेन शुरू किया।
जब इलेक्शन कमीशन द्वारा भी ऐसे कैंपेन आयोजित किये जाते हैं तो उनके और वोटर्स के बीच एक कम्युनिकेशन गैप रहता है इसलिए हमने सोचा कि वोटर्स प्लेज (मतदाता शपथ) कैंपेन शुरू किया जाये, जिसमें मिस्ड कॉल के ज़रिये मतदाता शपथ ले सकते हैं। अकेले मुंबई रीज़न से हमें 16 लाख मतदाताओं के कॉल आएं। ये धारणा है कि युवाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन हमने ये पाया कि युवाओं को फर्क पड़ता है अगर हम उनके साथ इन्गेज हों और उन्हें जागरूक करें।
रुबेन द्वारा शुरू किए गए इस कैंपेन का पॉज़िटिव असर महाराष्ट्र चुनावों में देखने को मिला, जहां मतदान का प्रतिशत 12 परसेंट बढ़ा।
रुबेन ने बताया कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में मतदाताओं का प्रतिशत ज़्यादा देखने को मिला है लेकिन नगरपालिका चुनावों में वोटर्स का परसेंट काफी कम देखने को मिलता है, जबकि हमारे आस-पास 80% चीज़ें जो मैटर करती हैं, जैसे कि सड़क, सफाई या अन्य मूलभूत सुविधाएं उनके लिए नगरपालिका चुनाव ही मैटर करता है।
रुबेन आगे बताते हैं, “हमने शत-प्रतिशत नाम से कैंपेन चलाया जिसमें हमने कोशिश की कि हर तरह के शिक्षक संस्थान, चाहे सरकारी हो या कॉर्पोरेट, उसके सारे मेंबर मतदाता हों और आपको पता है कितने स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया? साढ़े लाख स्टूडेंट्स! वो भी सिर्फ मुंबई और थाने के इलाके में।
हमने इलेक्शन के लिए देश में पहली बार फेसबुक चैट बॉट बनाया जिससे लोग जागरूक हो पाएं। चूंकि मुंबई बॉलीवुड का गढ़ है, हम बॉलीवुड के मशहूर चेहरों के पास गएं और उन्होंने काफी कॉपरेट किया।
हम लोगों को इन्गेज करने में कामयाब रहें क्योंकि हमने लोगों को ये बताया कि ये चुनाव क्या है और ये क्यों इतना ज़रूरी है। चूंंकि हमने ऑनलाइन नॉमिनेशन की मांग की थी इसलिए इतिहास में पहली बार हर पोलिंग बूथ पर कैंडिडेट्स के आपराधिक रिकॉर्ड्स के आधार पर, संपत्ति के आधार पर और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तुलनात्मक लिस्ट उपलब्ध कराई गयी।
हमने फेसबुक को लोकल इलेक्शन के लिए भी नोटिफिकेशन की सुविधा प्रदान करने के लिए कहा और दुनिया में पहली बार किसी लोकल इलेक्शन के लिए चुनाव के दिन फेसबुक नोटिफिकेशन की सुविधा मिली। चुनावी नतीजों के दिन हमने पाया कि 70 सालों में इस बार चुने हुए प्रतिनिधि सबसे स्वच्छ छवि वाले थे और ये इसलिए हुआ कि यंग लोग बाहर आएं और मतदान में हिस्सा लिया।
आज शायद हम अपने कोकून में एक बेहतर जीवन जी रहे हों लेकिन अगर हम हाशिये पर खड़े तबके की समस्याओं की तरफ ज़िम्मेदार ना हों तो आज नहीं तो कल ये हमें भी प्रभावित करेगी। अगर हम युवा इस परिवर्तन की शक्ति में विश्वास नहीं करेंगे तो कौन करेगा।
Youth Ki Awaaz के बेहतरीन लेख हर हफ्ते ईमेल के ज़रिए पाने के लिए रजिस्टर करें