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हरियाणा में अप्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव के खिलाफ क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं स्टूडेंट्स?

क्यों ज़रूरी है छात्रसंघ चुनाव?

किसी भी समाज की दिशा क्या होगी वह समाज का युवा तय करता है। जो युवा की दिशा व विचार होंगे उसी दिशा में समाज बढ़ेगा और युवा की दिशा व विचार क्या होगी यह इस बात से तय होगा कि उस युवा की शिक्षा कैसी है। उसमें किस-किस प्रकार की गतिविधियां शामिल हैं। जैसे युवा के सामाजिक विकास के लिए शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक गतिविधियां (यूथ फेस्टिवल) करवाए जाते हैं।

ठीक उसी प्रकार से छात्र-छात्राओं की राजनीतिक विकास के लिए शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव ज़रूरी है, ताकि देश की नीतियों, शिक्षा के हालात, आर्थिक व सामाजिक हालात पर चर्चा कर सकें। विश्वविद्यालय के हालात व उसके कारणों की तह तक जा सकें। उसकी बेहतरी के लिए संघर्ष कर सके। शिक्षण संस्थानों से ही ऐसे नेता निकल सकें जो देश को कुशल नेतृत्व प्रदान कर सकें।

प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव क्या है?

इस प्रणाली में जो भी छात्र-छात्रा अपनी संस्थान में छात्रसंघ में सदस्य के तौर पर शामिल होना चाहते हैं वो काउंसिल के लिए पूरी संस्थान के छात्र-छात्राओं से रूबरू होंगे। उन्हें उन मुद्दों पर बात करनी होगी जो पूरी संस्थान के लिए मायने रखते हैं। देश की शैक्षणिक व आर्थिक नीतियों पर विशेष काम करना होगा। हर विद्यार्थी को पता होगा कि कौन-कौन चुनाव लड़ रहे हैं और किन्हें व क्यों वोट देना है। जब अलग-अलग उम्मीदवार आकर अपनी बात रखते हैं तो हर छात्र संस्थान व देश के हालात से वाकिफ होगा और यही छात्र संघ चुनाव का उद्देश्य है कि छात्र-छात्राओं का राजनीतिक विकास हो सके।

अप्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव क्या है?

इस प्रणाली में छात्र सिर्फ अपनी कक्षा के प्रतिनिधि प्रत्यक्ष तौर पर चुनते हैं। सभी कक्षाओं के यही प्रतिनिधि फिर मिलकर संस्थान की छात्र काउंसिल का चुनाव करते हैं। कक्षा का प्रतिनिधि चुनने के बाद उन प्रतिनिधियों में से ही काऊंसिल चुनी जायेगी।

अप्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव का विरोध क्यों?

यह प्रणाली छात्र संघ चुनाव प्रणाली की मूल भावना के खिलाफ है। यह छात्र-छात्राओं के राजनीतिक विकास को रोकती है। इस प्रणाली में हर उम्मीदवार का मुख्य फोकस सिर्फ अपनी अपनी कक्षाओं तक सीमित हो जाता है। और पूरे संस्थान के मुद्दे में देश की नीतियों पर चर्चा होने की बजाय दोस्ती, इलाका, जाति मुख्य रह जाते हैं। विश्वविद्यालय व देश स्तर की समस्याएं नजरअंदाज़ कर दी जाती है।

हमारा कर्तव्य-

दोस्तों युवा होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम भगत सिंह सरीखे क्रांतिकारियों से प्रेरणा लें व सामाजिक समस्याओं पर चर्चा करें और ऐसी हर प्रणाली के खिलाफ खड़े हैं जो हमें सीमाओं में बांधे। अतः यह हमारा फर्ज बनता है कि अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का बहिष्कार करें क्योंकि यह प्रणाली हमें समाज व विश्वविद्यालय की समस्याओं से काटकर सिर्फ कक्षाओं तक सीमित कर देती है।
अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का बहिष्कार करो!

इंकलाब ज़िन्दाबाद !

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