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कहानी उन दिनों की जब माही मार रहा था

महेंद्र सिंह धोनी, नाम पढ़कर क्या याद आता है? विकेट के पीछे खड़े होकर कीपिंग करता हुआ शांत दिमाग वाला एक खिलाड़ी या विकेट के आगे खड़े होकर आजकल रन बनाने के लिए संघर्ष करता एक खिलाड़ी।

वो खिलाड़ी जो शायद अपने क्रिकेट करियर के सबसे खराब दौर से गुज़र रहा है। वो महान खिलाड़ी जिसको वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने वाली T-20 भारतीय टीम में जगह नहीं मिली है।

अजीब लगता है ना महेंद्र सिंह धोनी को टीम में जगह ना मिलना, उस धोनी को जिसने भारतीय क्रिकेट की दिशा और दशा बदल दी। जिसने कप्तानी और विकेटकीपिंग के नये आयाम स्थापित किए। हैलीकॉप्टर शॉट मारने वाला धोनी, बिना देखे विकेट पर बॉल मारने वाला धोनी, पहला T-20 वर्ल्ड कप लेकर पूरे मैदान में भागने वाला धोनी, वानखेड़े में कुलशेखरा को छक्का मारकर विश्व कप दिलाने वाला धोनी।

लोग मानते हैं और उम्मीद भी करते हैं कि धोनी 2019 का वर्ल्ड कप खेलकर ही क्रिकेट से विदा ले और यदि यह विदाई वर्ल्ड कप की जीत के साथ हो तो क्या ही कहने। खैर, बात करते हैं उन दिनों की जब धोनी सिर्फ धोनी थे, अनहोनी को होनी करने वाले धोनी नहीं।

यह बात उन दिनों की है जब धोनी के लंबे-लंबे बाल हुआ करते थे और वो लंबे-लंबे छक्के भी लगाते थे। बात है 31 अक्टूबर 2005 की और जगह थी जयपुर का सवाई मानसिंह स्टेडियम। भारत और श्रीलंका की टीम यहां सीरीज़ का तीसरा मैच खेलने के लिए इकट्ठा हुई थी। 7 मैचों की सीरीज़ में भारत 2-0 से आगे चल रहा था।

2005 में श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए धोनी

श्रीलंका के कप्तान मर्वन अटापट्टू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया और ओपनिंग करने आए सनथ जयसूर्या और कुमार संगकारा। सलामी जोड़ी कप्तान द्वारा लिए गए पहले बल्लेबाज़ी करने के फैसले को सही साबित करती उससे पहले ही अजीत अगरकर ने जयसूर्या को बोल्ड कर दिया।

इस तरह टीम का पहला विकेट छठवें ओवर की आखिरी बॉल पर गिरा। नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने आए खुद कप्तान अटापट्टू और 49 गेंद पर 17 रन की संघर्ष भरी पारी खेलकर आउट हो गये। अटापट्टू के बाद जयवर्धने क्रीज़ पर आए और संगकारा के साथ मिलकर दोनों ने भारतीय गेंदबाज़ों को मारना शुरू किया। दोनों मिलकर टीम का स्कोर 228 तक ले गए, जहां जाकर जयवर्धने आउट हुए और 151 रन की इस साझेदारी का अंत हुआ।

जयवर्धने ने 70 बॉल पर 71 रन बनाए। जयवर्धने के आउट होने का भी संगकारा पर कोई असर नहीं पड़ा, वो तो शायद उस दिन ड्रेसिंग रूम में साथी खिलाड़ियों से बोलकर आए थे कि आज पूरे 50 ओवर खेलेंगे। श्रीलंका ने संगकारा के 147 गेंद में 138 और अंत में परवेज़ महरूफ के 16 गेंद में 33 रनों की मदद से 50 ओवर में 4 विकेट पर 298 का स्कोर खड़ा किया।

भारत के लिए अजीत अगरकर ने 2 और जेपी यादव व सहवाग ने 1-1 विकेट लिए। आज भी जब कोई टीम सामने वाली टीम को 299 रनों का लक्ष्य देती है तो उसे अच्छा ही माना जाता है लेकिन उस ज़माने में यह एक बड़ा स्कोर कहा जाता था।

भारत को 6 रन प्रति ओवर के हिसाब से रन बनाने थे और ओपनिंग करने उतरे सचिन तेंदुलकर और विस्फोटक वीरेंद्र सहवाग। अभी स्कोर बोर्ड पर इंडिया के आगे सिर्फ 7 रन ही लिखे थे कि पहले ओवर की पांचवी बॉल पर पिछले दो मैचों के हीरो सचिन तेंदुलकर आउट। पूरा जयपुर और भारत सन्न लेकिन उसके बाद बल्लेबाज़ी के लिए पिच पर खड़ा था रांची का वो लड़का जो कुछ दिन पहले ही नंबर तीन पर आकर पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन मार चुका था।

खैर, धोनी ने आकर मारना शुरू किया, साथ में सहवाग तो थे ही। दोनों मिलकर टीम का स्कोर 99 रन तक ले गए जहां जाकर सहवाग 39 रन बनाकर मुरलीधरन का शिकार बने। बाद में धोनी ने 145 गेंद में 183 रन की रिकॉर्डतोड़ पारी खेली जिसकी मदद से भारत ने 23 गेंद शेष रहते 6 विकेट से यह मैच जीत लिया। धोनी ने अपनी इस पारी के दौरान उस समय के कई कीर्तमान अपने नाम किए जिनमें से कुछ तो अब तक अटूट हैं।

आइए नज़र डालते हैं ऐसे कुछ रिकॉर्ड्स पर-

1- धोनी द्वारा बनाया गया 183 रन का स्कोर आज भी किसी विकेटकीपर द्वारा बनाया गया सर्वाधिक स्कोर है।

2. 183 रन का यह स्कोर उस समय चेज़ करते हुए बनाया गया सर्वाधिक स्कोर था जिसे बाद में ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉटसन ने बांग्लादेश के खिलाफ 185 रन बनाकर तोड़ा।

3. नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करते हुए एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड भी उस दिन धोनी ने अपने नाम कर लिया था, अब यह रिकॉर्ड ज़िम्बॉम्बे के चार्ल्स कॉवेंट्री के नाम है, चार्ल्स कॉवेंट्री ने बांग्लादेश के खिलाफ 194 रन बनाए थे।

4. धोनी ने 183 रन की पारी के दौरान 15 चौके और 10 छक्के लगाए थे, इस तरह 120 रन सिर्फ बाउंड्री से बने थे जो उस समय का नया रिकॉर्ड था। अब यह रिकॉर्ड रोहित शर्मा के नाम है, रोहित ने अपनी 264 रन की पारी के दौरान 186 बाउंड्री से बनाए थे।

5. धोनी ने उस मैच में 10 छक्के लगाए थे, उस समय एक पारी में सर्वाधिक छक्के लगाने का रिकॉर्ड शाहिद अफरीदी और सनथ जयसूर्या के नाम था। दोनों ने 11-11 छक्के लगाए थे और धोनी रिकॉर्ड की बराबरी करने से मात्र एक शॉट दूर रह गए थे। अब यह रिकॉर्ड रोहित शर्मा, क्रिस गेल और डिविलियर्स के नाम है। तीनों ने 16-16 छक्के लगाए हैं।

6. वनडे क्रिकेट में यह पहला मौका था जब दोनों टीमों के विकेटकीपर ने शतक बनाए।

7. यह एक दिलचस्प संयोग ही है कि भारत के जिस खिलाड़ी ने वनडे क्रिकेट में 183 रन बनाए हैं वो आगे चलकर सफल कप्तान बना है। धोनी से पहले गांगुली ने श्रीलंका के ही खिलाफ 1999 विश्व कप में 183 रन बनाए थे और विराट कोहली ने पाकिस्तान के खिलाफ 183 रन की पारी खेली। ये तीनों ही भारत के सफलतम कप्तान माने जाते हैं।

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