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जन्मदिन की रात गुज़रने दो

एक सितारे को टूटने दो
जन्‍मदिन की रात गुज़रने दो
अभी लंबा सफर बाकी है
शब्दों की शुभकामनाएं साथी हैं
शब्दों से राख बनने दो
मूलांक आठ पकने दो,

मैंने आज शाम की गलियों में
दिन को ठंड का फेरा लगाते देखा
इस छोटे से बाजार में
तुमको आते और जाते देखा
मुझे भी ठंड खरीदने दो
जन्‍मदिन की रात गुजरने दो,

आज दिन ने मुझसे शिकायतें की
फुर्सत ढूंढी तो कही ना मिली
अब रात में आई है सजी धजी
तुम्हारी सहेली बन इतराने को
जन्म के दिन मनाने को,

आओ किसी रामलीला में चले
अंधेरे पर रंग उड़ेल दें
तुम मोमबत्तियों से थोड़ा दिन जलाना
फिर एक फूंक में रात ले आना
गुब्बारों में हँसी को उड़ने दो
जन्‍मदिन की रात गुज़रने दो।

तुम इस पल मेरे पास हो
जैसे चॉंद सितारों के साथ है
ठंडी हवा का तराना सुनों
आज कितना साफ आकाश है
मुझे इसका एक बादल बनने दो
जन्मदिन की रात गुज़रने दो।

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