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कविता: “बापू की गांधीगिरी के आगे नहीं टिक पाती कोई भी दादागिरी”

सबसे अनोखे, अपने बापू

अपने बापू का हम कैसे करें वर्णन,

उनसे झलकता है संपूर्ण भारत का दर्पण।

 

उनकी काया चाहे थी दुर्बल,

पर दृढ़ था उनका मनोबल।

 

बदन पर धोती और हाथ में लाठी, 

उस सादगी में समाई थी उनकी शक्ति।

बिना हाथ उठाए अंग्रेज़ों को भगाया,

सबको “अहिंसा” का कमाल दिखाया।

हर हाल में “सत्य” की राह अपनाई,

क्योंकि अंत में जीत उसी ने पाई।

 

नहीं टिक पाती कोई भी दादागिरी, 

जब काम करती है उनकी “गांधीगिरी”।

 

“स्वच्छता” को ईश्वर-भक्ति समान बताया,

उनसे प्रेरणा पाकर हमने “स्वच्छ भारत अभियान” चलाया।

 

अपने श्रेष्ठ कर्मों से पाया “महात्मा” का खिताब,

दुनियाभर में फैला उनके प्रशंसकों का सैलाब।

 

उनकी “बहुप्रियता” इस बात से साबित हो पाई, 

अपनी हर मुद्रा पर केवल उनकी ही छवि छाई। 

 

भारत के निर्माण में थे सबसे प्रमुख नेता,

सभी भारतवासियों के लिए बने “राष्ट्र-पिता”।

भारत का इतिहास बदलने में किया ऐसा काम,

सदा के लिए “अमर” हो गया उनका नाम।

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