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माननीय MLA साहिबा, #MeToo को सक्सेस का शॉर्टकट कहकर चरित्र का सर्टिफिकेट मत बांटिये

उषा ठाकुर

उषा ठाकुर, विधायिका

#MeToo को एक अभियान कह लीजिए या  फिर आंदोलन लेकिन यह जो भी है, बहुत गज़ब की चीज़ है। मौजूदा दौर में #MeToo के तहत लड़कियां और महिलाएं बेबाकी से उत्पीड़न और शोषण करने वालों के खिलाफ अवाज़ बुलंद कर रही हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि उस क्रांति की शुरुआत हो चुकी है जिसका डर अब लड़कियों और महिलाओं के साथ गलत करने वाले पुरुषों को सताने लगा है। बड़े पैमाने पर इस मुहिम को मिलने वाले समर्थन के बीच कुछ स्वर विरोध के भी दिखाई पड़ने लगे हैं। हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन का बयान सामने आया है।

उन्होंने ने कहा है कि बिना पहचान की कहानी, किसी के नाम और करियर दोनों को खराब कर सकती है, इसलिए अपने नामों और चेहरों के साथ खुले में आना चाहिए या फिर प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए, जिससे मामले की जांच हो सके। #MeToo अभियान कमज़ोर ना हो और इसका दुरूपयोग ना हो सके, इसके लिए सभी को इस अभियान को ज़िम्मेदारी के साथ संभालने और इसके वैधानिक तरीके तलाशने चाहिए।

दूसरी तरफ हैं इंदौर क्षेत्र से बीजेपी महिला विधायक उषा ठाकुर, जिन्होंने कहा कि मैं महिला सशक्तिकरण के पक्ष में हूं। हालांकि, यदि हम निजी स्वार्थ के तहत सफलता हासिल करने के लिए नैतिक मूल्यों से समझौता करते हैं तो ऐसी सफलता को मैं व्यर्थ समझती हूं। इतने वर्षों बाद इन आरोपों की आखिर वैधता क्या है?’

मैडम एक महिला होकर भी आपके द्वारा ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाना कहीं इस ओर इशारा तो नहीं कर रहा कि आप अपनी पार्टी के ‘एमजे अकबर’ का बचाव कर रही हैं।

आपका ये बयान सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए दिया गया बयान नज़र आता है और जब पता लगता है कि आप एक महिला होकर ऐसी बातें करती हैं तब और ज़्यादा शर्मनाक हो जात है। आपको उन महिलाओं का साथ देना चाहिए जिन्होंने शोषण और यौन उत्पीड़न को झेला है लेकिन आप तो उन्हीं महिलाओं को कटघरे में डाल रही हैं।

क्या ये मान कर चला जाए कि पार्टी द्वारा आप पर ऐसे बयान देने का दवाब  है? अगर हां, फिर तो आपके इस बयान से महिलाओं का अपमान साफ दिखाई पड़ रहा है।

आप जिस क्षेत्र की विधायक हैं, उस क्षेत्र के किसी गांव में जाकर देखिए किस तरह से महिलाओ के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। आपको खुद अंदाज़ा हो जाएगा। मुझे लगता है आप कभी ऑफिस से बाहर ही नहीं निकलती है, ज़रा बाहर निकलकर तो देखिये। गांव में अभी भी इस देश में महिला आयोग की दूर-दूर तक पहुंच नहीं हो पाई है। महिलाओं को पूर्ण आज़ादी आज भी नहीं मिल पाती है। डरा-धमका कर महिलाओं का चुप करा दिया जाता है।

आप विधायक इसलिए बन पाईं हैं क्योंकि आपके इलाके की महिलाओं ने आपपर भरोसा किया है। आप महिलाओं की सोच को उजागर कीजिए कि वो किस परिस्थिति से गुजर रही हैं। महिलाओं को अपनी बात रखने का पूरा हक दीजिए ताकि देश में महिलाओं के खिलाफ फैली गंदगी दूर हो सके।

आज कल का समाज महिलाओ, बेटियों और लड़कियों के खिलाफ ऐसी गंदी सोच रखता है जैसे ये सब उन गंदे समाज की कोई छिपी हुई राजनीति हो। #Me Too उन महिलाओं, लड़कियों और उन बेटियों की एक आवाज़ है जिन्होंने अपने जीवन में वो सब झेला है जो उन्हें नहीं झेलना चाहिए था।

हमें यह समझना होगा कि नो मतलब नो ही होता है। ये अपने आप में कोई शब्द नहीं बल्कि एक पूरा वाक्य है। लड़कों को समझना पड़ेगा कि ‘NO’ कहने वाली लड़की चाहे आपकी परिचित, ऑफिस की सहकर्मी, गर्लफ्रेंड, पत्नी या कोई सेक्स वर्कर ही क्यों ना हो, अगर कोई ‘NO’ कह रही है तब आपको रुकना पड़ेगा।

Photo Source: Twitter

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