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“यह मेरा पहला लोकसभा वोट है और यह राहुल गांधी को नहीं जाएगा”

राहुल गांधी

कॉंग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

भारत में चुनाव को लोकतंत्र का पर्व कहा जाता है खासकर लोकसभा चुनाव का एक अलग ही महत्व होता है। सत्ता की डोर पांच साल के लिए किसको दी जाए, यह चुनाव द्वारा तय की जाती है। वैसे तो 18 वर्ष की आयु के बाद वोट डालने का अधिकार हर नागरिक को होता है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बतौर वोटर मैं पहली बार मतदान करूंगा। मतदान से पहले यह तय करना आसान नहीं होता कि हमारा बहुमूल्य वोट किस पार्टी को जाएगा, क्योंकि 13 अप्रैल 2018 तक इस देश में राष्ट्रीय दलों की संख्या 7, क्षेत्रिय दलों की 24 और गैर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या 2044 है। ऐसे में यह तय कर पाना कि मेरा वोट किस पार्टी को जाएगा, यह बहुत मुश्किल है।

इससे इतर यदि लोकसभा चुनाव की बात करें तब किसे प्रधानमंत्री बनाना है, इसकी चर्चा देश के कोने-कोने में हो रही है। आने वाले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और प्रमुख विपक्षी पार्टी केअध्यक्ष राहुल गांधी के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है। मेरे सामने चेहरे दो हैं और पद एक, ऐसे में ज़ाहिर तौर पर चुनाव किसी एक का ही करना पड़ेगा। भारत जैसे देश में जहां आधी आबादी यहां की मिट्टी में बसती है, उस देश का नेता इस मिट्टी की सुगंध को महसूस करने वाला तो होना चाहिए।

ऐसे में भाजपा के बहुत सारे नीतियों के खिलाफ होने के बाद भी मेरे लिए इस देश का प्रधानमंत्री या नेता फिलहाल तो राहुल गांधी नहीं हो सकते।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राहुल गांधी एक ना एक दिन इस देश की सत्ता में बैठेंगे लेकिन उन्हें परिपक्व होने में अभी और वक्त लगेगा। समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को समझने के लिए अभी उन्हें और मेहनत करने की ज़रूरत है। जिस प्रकार से 2014 में राहुल गांधी अहम मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए नज़र आ रहे थे, अब उनके भाषणों में काफी बदलाव देखे जा सकते हैं। अभी भी उनके भाषणों में उतनी परिपक्वता नज़र नहीं आती जिसे देखकर मैं यह कर सकूं कि वो देश के प्रधानमंत्री बनने के लायक हैं।

कोई भी मुद्दा उन्हें जिस रूप में दिखाई पड़ता है, वो उस पर वैसे ही रिएक्ट कर देते हैं। कई ज्वलंत मुद्दों पर उनकी राजनैतिक समझ की कमी को साफतौर पर महसूस की जा सकती है। प्रधानमंत्री अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का  प्रतिनिधित्व करता है, ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि देश की विशेषता और घटनाओं को समझकर बेबाकी से अपनी राय रखने की कला उसमें होनी चाहिए।

मैं आगामी लोकसभा चुनाव में किसे वोट दूंगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन मेरा बहुमूल्य वोट राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए तो नहीं जाएगा। ऐसे में मेरे पास कोई और विकल्प हो, इसकी भी उम्मीद नहीं है।

ऐसी बात भी नहीं है कि मेरी सोच के आधार पर ही देश के वोटरों का मिजाज़ तय किया जाएगा लेकिन मसला यह है कि क्या कॉंग्रेस को उतने वोट मिल पाएंगे जिससे वो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री या फिर महागठबंधन का नेता बना सकें। इसका जवाब तो खैर राहुल गांधी के पास भी नहीं होगा लेकिन मौजूदा केन्द्र सरकार के विरोध का हर वोट राहुल को प्रधानमंत्री बनाने के लिए होगा, यह भी सोचना गलत है।

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