Site icon Youth Ki Awaaz

“राजस्थान का ऐसा क्षेत्र जहां ना तो विद्यालय है और ना ही पीने के लिए पानी”

स्कूल जाते बच्चे

दूसरे गांव में स्कूल जाते बच्चे

राजस्थान के करौली ज़िले का डांग क्षेत्र एवं वहां के निवासी आज भी जीवन-यापन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परेशान हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का कोई भी लाभ उन तक नहीं पहुंच रहा है। डांग के विकास के लिए 1997 मे करौली ज़िले को सवाई माधोपुर से अलग कर नया ज़िला बनाया गया। उसके बाद मंदरायल क्षेत्र को सपोटरा से अलग कर नई पंचायत समिति बनाई गई लेकिन ग्रामीणों को पीने का पानी, बिजली व सड़क जैसी सुविधाएं आज भी नहीं मिल पाई है।

नज़दीकी ग्राम गजसिंघपुरा जहां 60 घरों की बस्ती है तथा 6 से 14 वर्ष के 200 बच्चे निवास कराते है, परंतु शिक्षा का अधिकार कानून देश मे पारित होने के बाद भी वहां अभी तक प्राथमिक विद्यालय नहीं है। गांव के कुछ बच्चे आमरे की ग्वाडी के विद्दालय मे पढ़ने आते हैं। रास्ते में गहरे नाले होने व उनमे पानी आ जाने से बारिश में उनका आना बंद हो जाता है।

आमरे की ग्वाड़ी ग्राम जहां 200 परिवार रहते हैं, पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, ग्रामीणों को 1 किलोमीटर दूर गहरे नाले से मिट्टी वाला पानी छान कर लाना पड़ता है। महिलाओं व लड़कियों का समय पानी लाने में ही व्यतीत हो जाता है। गांव की लड़कियां इसी कारण से विद्यालय पढ़ने नहीं जा पाती हैं। ग्राम में स्थित एकमात्र हैंडपंप भी खराब है।

आमरे की ग्वाड़ी ग्राम में जून व जुलाई माह का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत मिलने वाला गेहूं अभी तक नहीं मिला है। राशन डीलर के यहां ग्रामीण जाते हैं और गेहूं नहीं आने की सूचना लेकर वापस चले आते है। राशन डीलर का कहना है कि उनके द्वारा जिला प्रशासन तक इसकी सूचना दे दी गई है।

भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘मिड डे मील’ योजना का गेहूं भी विद्यालय में अप्रैल माह से नहीं आ रहा है। इससे विद्यालय में दोपहर का खाना बच्चों को नहीं दिया जा रहा है। खाना नहीं मिलने के कारण बच्चे विद्यालय नहीं आ रहे हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि आमरे की ग्वाडी ग्राम मे सभी ग्रामीणों को पिछले कई वर्षों से कार्य नहीं दिया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल उन राजनेताओं की कार्यशैली पर भी खड़ा होता है जिनके चुनावी ज़ुमले कभी पूरे नहीं हो पाते। सरकारी योजनाओं का निराशाजनक रवैया राजस्थान के डांग क्षेत्र से हम समझ सकते हैं।

Exit mobile version