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“दूल्हे ने पिता के विरुद्ध शादी के मंडप से खुलकर दहेज का विरोध किया”

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एक साल पहले की बात है, मेरी करीबी दोस्त के यहां शादी थी। दोस्तों के यहां शादी में जाना एक अलग ही उत्साह और खुशी देता है। इसलिए मैं शादी के 3 दिन पहले ही वहां पहुंच गई। हम सब ने खूब मस्ती-मज़ाक, गाना-डांस किया। देखते-देखते शादी का दिन भी आ गया सारी तैयारियां एकदम ज़ोरों पर थी, सभी लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त थे। कौन क्या पहनेगा, आदि बातें हमारे बीच चल रही थी।

शाम के वक्त गाजे-बाजे के साथ बारात घर पर पहुंच गई। बारात वक्त पर थी, इसलिए लोगों की भीड़ थोड़ी ज़्यादा थी। बारात पहुंचने के बाद भी कोई रस्म शुरू नहीं हुई, तो लोगों ने अपने-अपने कयास लगाने शुरू कर दिए। बाद में पता चला कि लड़के वालों ने 25 लाख रुपयों की शर्त रखी है। अगर 25 लाख रुपए मिले तभी शादी होगी वरना बारात को वापस कर लिया जाएगा। हमें तो उनकी बातों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। जो लोग कल तक  दहेज विरोधी नारे लगा रहे थे और दहेज अभिशाप है, जैसी बातें कर रहे थे, वह इस तरह से पलट जाएंगे! यह तो सचमुच चौकाने वाला था। दहेज लोभियों का लोभ कभी खत्म नहीं होता। इस बात से हम सब भली-भांति परिचित है, पर किया क्या जाए ? यही बातें हम हमारे अंदर चल रही थी।

तभी लड़के की आवाज़ आई, ‘पापा, आप मुझे बेच रहे हैं? आपने मेरी कितनी कीमत लगाई है? बेटा, यह कोई कीमत नहीं है। यह तो सदियों से चली आ रही प्रथा है, रिवाज है। लड़के के पिता ने कहा। नहीं पापा दहेज कोई  रिवाज, या प्रथा नहीं है। बल्कि यह तो कुप्रथा है, जिसे रिवाज का नाम देकर हमेशा से सींचा जा रहा है। नतीजा यह है कि आज कई लड़कियां दहेज के लालच में मार दी जाती हैं और प्रताड़ित की जाती है। आप तो जानते ही हैं कि मुझे और अरूणा (लड़की ) को इन चीज़ों से कितनी नफरत है। इसलिए चलिए पंडित जी हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे। अपने बेटे के समझाने से उन्हें भी अपनी हामी भरनी पड़ीं। आखिरकार लड़के की बात सबको समझ आ गई थी। सबने इस फैसले का तालियों के साथ स्वागत किया।

सचमुच जो लड़का दहेज को ना कहे और प्रगतिशील सोच  रखे, वही है योग्य वर और बिना दहेज की शादी एक आदर्श विवाह।

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