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याद्दाश्त बढ़ाने के प्राचीन तरीकों को हम भूल क्यों रहे हैं?

याद्दाश्त बढ़ाने के आसान तरीके

याद्दाश्त बढ़ाने के आसान तरीके

आजकल की अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण लोग आवश्यक जानकारियों को याद नहीं रख पाने की समस्या से जूझ रहे हैं। इसे आम भाषा में याद्दाश्त का कमज़ोर होना भी कहते हैं। वास्तव में हमारा मस्तिष्क भी एक मांसपेशी की तरह ही होता है। जिस प्रकार हमें अपनी मांसपेशियों को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए लगातार अभ्यास की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मस्तिष्क को भी सक्रिय बनाए रखने के लिए लगातार अभ्यास की ज़रूरत पड़ती है। यदि इसपर समय रहते ध्यान ना दिया जाए तो भूलने की आदत धीरे-धीरे बढ़कर अल्ज़ाइमर और डिमेन्शिया जैसे भयानक रोगों का रूप ले लेती है। आज हम आपको बताएंगे वो तरीके जिनकी सहायता से आप अपनी याद्दाश्त को और भी बेहतर बना सकते हैं।

याद्दाश्त सुधारने का प्राचीन तरीका

आज से हज़ारों वर्ष पूर्व भारत में बच्चों को गुरुकुल शिक्षा पद्धति के अंतर्गत पढ़ाया जाता था। उस समय लिखने और पढ़ने के लिए कॉपी और किताबें नहीं हुआ करती थी। इसलिए बच्चों को उनके सभी पाठ कंठस्थ कराए जाते थे। जो बच्चा अपना पाठ याद नहीं कर पाता था, उसे सज़ा के तौर पर कान पकड़कर उठक-बैठक करवाया जाता था। वास्तविकता में ये उठक-बैठक कोई सज़ा नहीं थी, अपितु यह याद्दाश्त बढ़ाने की एक कसरत थी, जिससे कमज़ोर याद्दाश्त वाले बच्चों की स्मरण शक्ति को बढ़ाया जा सके। इसे करने के लिए छात्रों को अपने दाहिने हांथ से बाएं कान को और अपने बाएं हांथ से दाहिने कान को पकड़कर उठक-बैठक करनी पड़ती थी।

ऐसा करने के पीछे कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण था जिनका ज्ञान तब के आचार्यों के पास होता था। समय गुज़रता गया और हमने अपने इस बहुमूल्य ज्ञान को भुला दिया, परन्तु कई अन्य मुल्कों ने इस विषय पर शोध कार्य किये और उन्हें इसके जो परिणाम प्राप्त हुए वे आश्चर्यजनक थे। आज इन मुल्कों में यह विद्या ‘सुपर ब्रेन योगा’ के नाम से प्रचलित है और वहां प्रत्येक स्कूल में इसका अभ्यास बच्चों को रोज़ाना कराया जाता है। आप भी इसका अभ्यास कर अपनी स्मरण शक्ति सुधार सकते हैं।

याद्दाश्त बढ़ाने के लिए जानकारी को लयबद्ध करना सबसे बेहतर उपाय

प्राचीन भारत का जितना भी ज्ञान आज हमें प्राप्त हुआ है वह सब संस्कृत के दोहों या श्लोकों में ही है। कभी आपने सोचा है कि यह इस तरह क्यों उपलब्ध हुआ। यदि नहीं तो हम आपको इसका कारण बताते हैं। इसका कारण है हमारे वेदों और पुराणों का श्रुति एवं स्मृति आधारित होना। यदि उस समय इतने बड़े वेदों व पुराणों को सुनकर याद किया जा सकता था तो अवश्य ही आज भी यह तरीका उतना ही कारगर होगा।

गुरुकुल शिक्षा पद्धति में गुरू अपने शिष्यों को जो भी ज्ञान देते थे, वह उसे लयबद्ध करके सिखाया करते थे जिससे बच्चों को उसे स्मरण करना आसान हो जाए। यदि आप भी किसी मुश्किल जानकारी को याद रखना चाहते हैं तो उसे किसी प्रकार से गाने लायक बना लें।  इससे आपको उसे याद रखना बहुत ही आसान हो जाएगा। उदाहरण के लिए हमें बचपन में हिंदी वर्ण माला सीखने के लिए इस तरीके का प्रयोग किया जाता था। जैसे – अ से अनार का मीठा दाना, आम चूसो खुशी मनाओ, इमली की चटनी बनाओ, ईंख चूसो खुशी मनाओ, उल्लू छत पे आँख दिखाए और ऊन ठंड को दूर भगाए। इस प्रकार से लयबद्ध करने पर वर्णमाला को याद रखना आसान और मनोरंजनपूर्ण हो जाता था।

जानकारियों को कहानी का रूप देकर याद करना

बचपन में आप सबने कोई ना कोई कहानी अवश्य सुनी होगी। बचपन में कहानियां तो हमने भी सुनी थी लेकिन हमारी वाली कहानियों में कुछ खास कहानियां थीं जो हमें हमारी याद्दाश्त बढ़ाने के लिए सुनाई जाती थी। इन्हें सुनकर हम जानकारियों को कहानी के रूप में बदलना सीखते थे। उदहारण के लिए हमें बचपन में याद्दाश्त सुधारने के लिए जो कहानियां सुनाई गई उनमें से एक इस प्रकार है – जूँ का पेट फटा, नदी लाल बही, गाय की सींग सड़ी, पीपल के पात झड़े, कौआ काना हो गया, तेली लूला हो गया और राजा ढ़ोल बजाने लगा।

इस प्रकार कहानी आगे बढ़ती रहती है और हमें सब कुछ उसी क्रम में याद होता जाता है। ऐसे में घटनाओं को याद रखना बहुत ही आसान हो जाता है।

अपनी कल्पनाशक्ति के प्रयोग द्वारा याद्दाश्त बढ़ाना

आपकी माँ ने जब कभी आपको बाज़ार से सब्ज़ी लाने भेजा होगा तो कई बार आप कुछ ज़रूरी सामान लाना भूल गए होंगे। यदि आप अपनी कल्पनाशीलता का प्रयोग करें तो आपसे ऐसी भूल फिर कभी नहीं होगी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आप यदि इन सामान्य सी दिखने वाली चीजों का आकार बढ़ा दें और इन्हें इस प्रकार जोड़ें कि इससे एक कहानी का निर्माण हो जाए, तब आप उसे कभी नहीं भूलेंगे।

उदाहरण के लिए यदि आपको घर पर भिंडी, नीबू, टमाटर, अदरख, मिर्च, प्याज़ और आलू लाने के लिए बोला गया है। तब आपको बस यह सोचना है कि एक मनुष्यों की तरह दिखने वाली भिंडी है जो नींबू जैसे दिखने वाले एक बस स्टॉप पर खड़ी है, तभी एक टमाटर जैसी बस आती है और वो उसमें बैठ जाती है।

अदरक इस बस की ड्राइवर है जो इसे चला रही है। भिंडी से एक तीखी आवाज़ टिकट के लिए पूछती है, वो इस बस की कंडक्टर मिर्च है। भिंडी बाहर देखती है तो एक प्याज़ दुर्घटना में फट गया है और आस-पास खड़े लोगों के आंसू निकल रहे हैं। भिंडी की भी आंख में आंसू आ जाते हैं। भिंडी जब अगले बस स्टॉप पर उतरती है तो उसे एक आलू धक्का दे देता है और वो कीचड़ में गिर जाती है। अब आप कोई भी सब्जी लाना कभी नहीं भूलेंगे। भले ही आपको ये तरीका बेवकूफी भरा लगे लेकिन आप इस तरीके से जितनी भी चीजों को याद करेंगें वो आपको उसी क्रम में हमेशा के लिए याद हो जाएगी और तब तक याद रहेगी जब तक कि आप स्वयं उन्हें भूलना ना चाहें।

जानकारियों का महल खड़ा करना

ये तरीका आजकल के ज़्यादातर मेमोरी चैंपियंस प्रयोग करते हैं। इसमें आपको बस इतना करना होता है कि आप जिस जानकारी को याद रखना चाहते हैं उसे आप उन स्थानों पर छिपा देते हैं जिन्हें आप पहले ही अच्छी तरह से जानते हैं। जैसे आपका घर, आपका कमरा या आपका स्कूल जिसके हर हिस्से की जानकारी आपको अच्छे से होती है। यदि आप इसमें महारत पा लें तब आप बहुत सारी जानकारियों को बिना भूले लंबे वक्त तक याद रख सकते हैं।

याद्दाश्त बढ़ाने के और भी अनेक तरीके हैं जिन्हें आप प्रयोग कर सकते हैं। यहां पर आपको केवल वो तरीके बताए गए हैं जिन्हें आसानी से अपनाया जा सकता है। आशा है आपको ये तरीके अवश्य पसंद आए होंगे।

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