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“जिसने धरोहर बचाई, पर्यावरण सम्मान किया वह आदिवासी है”

संभाल रखी है परम्पराएं, संस्कृति, आदिम व्यवस्था जिसने

वह भारत का वासी है, वह आदिवासी है।

 

हुए विनाश उन सभ्यताओं के, नई नवीन आभा प्रभाओं के,

जो चल पड़े थे विपरीत दिशा, प्रकृति की सीमा को लांघकर,

कभी सुनामी-कभी त्रासदी ने उनको है सबक सिखाया।

मिटी नवीन सभ्यताएं

पर जो ना मिटा अविनाशी है,

वह आदिवासी है।

 

मिटी महान मोहनजोदड़ो, इन्द्रप्रस्थ दिल्ली समान

नगरियां मिटी सब कालखंड में,

उजड़ गये अनगिनत नगर, अट्टालिकाएं प्राकार मिटे,

पर्यावरण से जो दूर हुए, उनके नाम और निशान मिटे।

ना मिटा प्रकृति अभिलाषी है

वह आदिवासी है।

 

जिसने धरोहर बचाई, पर्यावरण सम्मान किया,

जो टिका रहा आदिम पर, मगर ना तथाकथित उत्थान किया,

देकर अमरत्व जगत को

बन रक्षक वह विष को पिया रहा,

वह नहीं विलासी है,

वह आदिवासी है।

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