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“क्या नरेंद्र मोदी हैं स्वामी सानंद की मौत के ज़िम्मेदार?”

स्वामी सानंद

स्वामी सानंद

जिस प्रकार से मॉं के लिए अपने ज़हन में हर व्यक्ति अलग श्रद्धा रखता है ठीक वैसे ही इस देश में गंगा को भी मॉं का ही दर्जा प्राप्त है। इसी मॉं के लिए उसके एक पुत्र ने अपनी सांसे खत्म कर दी। उसकी मौत हम सबके लिए बिना आवाज़ की एक तमाचा ज़रूर मार गई। 112 दिनों तक अनशन पर बैठे स्वामी सानंद कहे जाने वाले 86 वर्ष के जीडी अग्रवाल ने शुक्रवार को अंतिम सांसे ली। गंगा की सफाई को लेकर मुख्य रूप से उनकी चार मांगें थी। 22 जून 2018 से अनशन पर बैठे स्वामी जी ने 9 अक्टूबर से पानी भी त्याग दिया था।

जीडी अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना छोटा भाई संबोधित करते हुए गंगा की सफाई और उसे अविरल बनाने के लिए तीन बार पत्र लिखा था, जबकि उन्हें एक बार भी खत का जवाब नहीं मिला। अब जब स्वामी जी नहीं रहे, तब प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजली दी है।

उन्होंने लिखा, ‘श्री जीडी अग्रवाल जी के निधन से मैं दुखी हूं। शिक्षा, पर्यावरण की रक्षा, विशेष रूप से गंगा सफाई की दिशा में उनकी कोशिशों को हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें मेरी संवेदनाएं हैं।

सोशल मीडिया पर हर तरफ नरेंद्र मोदी के ट्वीट की आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि स्वामी जी के जीवित रहते मोदी जी ने कुछ पहल करने की ज़हमत नहीं उठाई और अब ट्वीट करके संवेदना व्यक्त कर रहे हैं।

इससे पहले भी साल 2012 में स्वामी जी उपवास पर बैठ चुके थे, तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री  थे और केन्द्र में यूपीए की सरकार थी।उस वक्त भी नरेंद्र मोदी का एक ट्वीट सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘स्वामी सानंद के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं, जो अविरल, निर्मल गंगा को लेकर अनशन पर हैं। उम्मीद है केंद्र सरकार गंगा को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगी’। यह ट्वीट 19 मार्च 2012 को किया गया था।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अब जब मोदीजी देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं तब उन्होंने स्वामी जी की मांगो को देखते हुए गंगा के लिए कोई हितकारी कदम क्यों नहीं उठाया?

मेरा मानना यह भी है कि गंगा की सफाई को लेकर सिर्फ सरकार से जवाब मांगने भर से ही हमारी ज़िम्मेदारी खत्म नहीं हो जाएगी, बल्कि हमें भी यह तय करना होगा कि कचड़े वगैरह डालकर गंगा को हम प्रदुषित ना करें।

स्वामी जी की मौत के लिए इस देश का हर एक नागरिक भी उतना ही ज़िम्मेदार है जिसने गंगा को प्रदूषित होने दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या एक मौत हम सबको जगाने का काम करती है या नहीं।

फोटो साभार: आनंद मोहन के ट्वविटर अकाउंट से

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