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“मुझे दुख है भाजपा ने पांच सालों में मेरे राज्य MP के लिए कुछ नहीं किया”

मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने जनता से किए वादों को पूरा किया है

2013 में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ एमपी में राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ने लगीं। प्रदेश में चारों ओर राजनैतिक माहौल का संचार भी इस समाचार के साथ बन गया। इसी बीच नवोदय विद्यालय का एक सामान्य छात्र जो उस वर्ष स्कूली जीवन की सबसे अहम परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ था, राजनैतिक रुचि रखने के कारण चुनावी घोषणा ने उसके मस्तिष्क में उत्साह का एक पुंज प्रज्वलित किया। उसके मित्रों का समूह (जो सामान्यतः उसके जैसे ही राजनैतिक दिलचस्पी रखते थे) इस घोषणा के साथ चर्चा के दौर के लिए सक्रिय हो गया।

समूह में अलग-अलग पार्टियों की विचारधारा, एजेंडा और कार्यप्रणाली के समर्थन में सब बड़ी विद्वतापूर्ण (आज के हिसाब से ना सही लेकिन उम्र के उस पायदान के हिसाब से कह सकते हैं) अपना मत रख रहे थे। किसी को भाजपा में हिंदुत्व की रक्षा की क्षमता नज़र आ रही थी तो वहीं दूसरे साथी विद्वान को भाजपा से सामाजिक समरसता के खराब होने का डर नज़र आ रहा था। कॉंग्रेस के प्रति भी समूह में दृष्टिकोण मिला-जुला था।

खैर, जैसे-जैसे समय मतदान की ओर बढ़ता जा रहा था, उसके साथ ही उन छात्रों की चर्चा का ज़ोर और जोश भी बढ़ता जा रहा था। आखिरकार मतदान हुआ और उसके पश्चात उन सभी के बीच अपने-अपने समर्थित दल की जीत की आश्वस्तता के प्रति बहस चलने लगी। इन बहसों के मध्य ही परिणाम का दिन आ गया और मध्यप्रदेश में भाजपा ने अपनी सत्ता पुनः कायम की।

आज 2018 यानि 2013 से ठीक पांच साल हो चुके हैं। अभी तक की दृष्टि से यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि इन पांच सालों में परिवर्तन के नाम पर पेड़ के नीचे पड़ा सूखा पत्ता भी नहीं हिला है।

जिस पड़ाव से इस सरकार ने अपना सफर शुरू किया था पांच साल बाद ठीक उसी पड़ाव पर बिना कुछ किए अपने दूसरे आरामदायक सफर के लिए मतदाताओं से वोट की मिन्नतें मांग रही है। सरकार ने पांच सालों में कुछ नहीं किया लेकिन इन पांच सालों में उस समूह के अधिकांश छात्र अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए कई कदम आगे बढ़ चुके हैं।

आज मैं नवोदय से निकलकर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से इतिहास में बीए करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में एमए का अंतिम वर्ष का छात्र हूं। इसके मध्य राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण कर चुका हूं।

पांच साल की अहमियत यह कहकर ना खराब करें कि एक बार मौका और दे देते हैं या फिर पांच साल ही तो हैं काम नहीं करेंगे तो बदल देंगे। क्या पता दूसरी सरकार कोई ऐसा कदम या योजना लाए जो आपके जीवन की दिशा बदल सके। मतदान किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष के नज़रिए से ना करें, इनसे ज़्यादा महत्वपूर्ण आपका भविष्य है।

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