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लस्ट स्टोरीज़: बोल्ड सीन्स के पीछे गंभीर समस्याएं क्यों किसी को नहीं दिखती

15 जून को नेटफ्लिक्स पर चार कहानियों का एक संकलन (Anthology) मूवी के तौर पर रिलीज़ हुआ, जिसका नाम लगभग हर व्यक्ति ने सुना होगा, “लस्ट स्टोरीज़”। हां, वही स्टोरीज़ जिनके लिए नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन सबके पास भले ही ना हो पर यूट्यूब पर 2 मिनट के वीडियोज़ सबने देखें होंगे, विशेषतः कौन से यह जानने वाले समझ ही गए होंगे।

वैसे तो इसमें चार कहानियां भी हैं लेकिन एक बहुत बड़ा तबका “लस्ट” से “स्टोरीज़” तक का सफर तय ही नहीं कर पाया।

यदि महिलाओं की भावनाओं को खुलकर बिना किसी पुराने सामाजिक ढर्रों की परवाह किए बगैर दिखाया गया हो और इसके लिए कुछ बोल्ड सीन्स का इस्तेमाल किया गया हो तो क्यों एक वर्ग बस वहीं ठहरकर रह जाता है? उसके पीछे जो कहानी कही जा रही है उसे क्यों भूल जाता है?

ऐसी ही सोच कुछ इस संकलन को लेकर भी रही है और ऐसी सोच रखने वालों में वह तबका भी बढ़-चढ़कर शामिल रहा है जो सुबह तर्कशील होता है लेकिन शाम ढलने के साथ उसे खुमारी चढ़ने लगती है।

लस्ट स्टोरीज़ के एक सीन में कियारा आडवाणी

इस वर्ग के लोगों को ट्रेलर में कियारा आडवाणी (चार कहानियों में से एक की मुख्य अभिनेत्री) का 3-4 सेकंड का सीन याद रह गया जिसकी वजह से वे पूरी मूवी के प्रति बड़े उत्सुक हो उठे। इस पूरी मूवी के दौरान महिलाओं की समस्याओं, भावनात्मक द्वंद्व, सेक्स में महिलाओं की संतुष्टि जैसी समस्याओं पर जो बात हुई उसपर किसी की नज़र नहीं गई।

एक महिला जो पाती है कि शादी के वर्षों बाद वह अब अपने पति के साथ शायद उस प्रेम संबंध में नहीं रह सकती और रिश्ता बोझ बन रहा है। वह मानसिक रूप से किसी और साथी के साथ खुश है लेकिन कहीं ना कहीं शादी एक संस्था के रूप में उसे रोक रही है, फिर भी वह आगे बढ़ती है। इन सब पर मूवी में बात की गई लेकिन उसे शायद याद रखना कोई नहीं चाहता।

पुरुषों का यह बड़ा तबका इन स्वच्छंद विचारों के महत्व और जीवन जीने के स्तर पर अपनाई गई रूढ़िवादिता की गंभीरता को समझने के बजाय कुछ सीन्स (जो कि उस कहानी के लिए ज़रूरी हैं) को आधार बनाकर इन कहानियों को माइल्ड पॉर्न (शायद शब्द उचित ना हो) की तरह अपने वर्ग में प्रचारित कर रहा है।

ऐसा ही कुछ “वीरे दी वेडिंग” के साथ नज़र आया, जहां फिल्म से ज़्यादा चर्चा स्वरा भास्कर के एक सीन की हुई और उस सीन को भी उसी तरीके से ट्रीट किया गया जैसे कि किसी पॉर्न क्लिप को किया जाता है।

हम इस बड़े तबके से किस प्रकार की उम्मीद कर सकते हैं, जो कि स्वछंदता के मायनों पर भी सिर्फ अपना अधिकार समझता है और अपने वर्ग से बाहर स्वछंद व्यक्तियों को अमर्यादित और अश्लील होने का टैग देता फिरता है।

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