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दिलचस्प हुआ राजस्थान में चुनाव: CM वसुंधरा राजे बनाम मानवेन्द्र सिंह जसोल

राजस्थान में चुनावी संग्राम और भी दिलचस्प हो गया है, क्योंकि अब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायक मानवेन्द्र सिंह जसोल की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। वसुंधरा राजे राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की झालरापाटन विधानसभा से चुनाव लड़ती आयी हैं जो कि झालावाड़ ज़िले में है। इस सीट को उनके लिए काफी सुरक्षित माना जाता है कि क्योंकि यहां से वो एक भी बार चुनाव नहीं हारी हैं।

अब तक झालरापाटन भाजपा के लिए ना सिर्फ सुरक्षित बल्कि आसान जीत दर्ज़ करने वाली सीट मानी जा रही थी, लेकिन आज कांग्रेस द्वारा जारी की गयी प्रत्याशियों की दूसरी सूचि ने भाजपा के समीकरण बिगाड़ कर रख दिए। काँग्रेस ने झालरापाटन विधानसभा से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने विधायक मानवेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। गौरतलब है, 2013 में मानवेन्द्र सिंह ने भाजपा के टिकट पर बाड़मेर की शिव विधानसभा से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने काँग्रेस के अमीन खान को 31425 मतों से हराया था।

मानवेन्द्र सिंह जसोल के परिवार का राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा कद रहा है। इनके पिता जसवंत सिंह जसोल राजस्थान में भाजपा के संस्थापकों में से एक है, जो पूर्व सांसद एवं केंद्र में मंत्री भी रहे। हालांकि 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बाड़मेर से जसवंत सिंह का ही टिकट काटकर कर्नल सोनाराम को अवसर दिया गया था। तब ही से भाजपा और जसोल परिवार के रिश्तो में दरार आ गयी. उसके बाद हालही में भाजपा की बहुचर्चित राजस्थान गौरव यात्रा में वसुंधरा राजे जोधपुर संभाग में प्रचार करने तो गईं लेकिन मानवेन्द्र सिंह की शिव विधानसभा में नहीं गईं। इस बात से नाराज़गी और बढ़ गई।

भाजपा में अपनी अहमियत को कम होता देख मानवेन्द्र सिंह ने 22 सितम्बर को बाड़मेर के ही पचपदरा में स्वाभिमान रैली का आयोजन कर ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ के नारे के साथ ही भाजपा छोड़ने की औपचारिक घोषणा कर दी। मानवेन्द्र सिंह ओर राजस्थान प्रदेश काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के रिश्ते पुराने और मज़बूत है, जिसके चलते पायलट ही मानवेन्द्र सिंह के काँग्रेस में शामिल होने के सूत्रधार बने। दोनों ही साथ भारतीय सेना में शामिल हुए थे और दोनों ही 14वीं लोकसभा में एक साथ सांसद रहे। इसके बाद 17 अक्टूबर को मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस में शामिल हो गएं। इतना ही नहीं, जब हाल ही में काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी हाड़ौती संभाग के दौरे पर थे, तो मानवेन्द्र सिंह दो दिन उन्हीं के साथ रहे।

फिलहाल राजस्थान में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है, आनंदपाल एनकाउंटर एवं फिल्म पद्मावत जैसे मामलों के बाद राजपूत समाज भाजपा से पहले ही खासा नाराज़ चल रहा है, ऐसे में मानवेन्द्र सिंह का वसुंधरा राजे के सामने चुनावी ताल ठोकना मुकाबले को भाजपा के लिए मुश्किल और मीडिया के लिए दिलचस्प बना देगा। अब सब की नज़र इसी सीट पर होने वाले घमासान पर टिकी रहेगी। अब झालरापाटन की जनता भाजपा को वोट देकर वसुंधरा के सम्मान की रक्षा करती है या मानवेन्द्र सिंह को सिर-माथे पर बैठाकर अपमान और वादा खिलाफी का बदला लेती है? इस बात का खुलासा तो 7 दिसंबर को मतदान के बाद 11 दिसंबर को मतगणना के दौरान ही हो पायेगा।

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