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“नागिन डांस पर रिपोर्ट करने वाली पत्रकारिता को मैं लोकतंत्र का स्तंभ नहीं कह सकता”

प्रेस

किसी देश के लोकतंत्र की मज़बूती का अनुमान वहां की मीडिया को दी गई आज़ादी के माध्यम से लगाया जा सकता है। लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है। लोग यह कहते हुए नहीं थकते कि हम उस देश के निवासी हैं जिस देश का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन क्या हमने कभी विचार किया है कि इस देश में लोकतंत्र ज़िंदा है भी या नहीं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को ‘प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ में 138वां स्थान प्राप्त है। इस सूची में अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान और मालदीव जैसे देश भारत से ऊपर हैं।

क्या आपने कभी अपने देश की मीडिया को समझने की कोशिश की है? क्या आपको लगता है कि आपके देश की मीडिया आपकी मतलब की खबरें आपको दिखा रहा है? क्या ज़मीन पर होने वाली घटनाएं सरकार के कानों तक लेकर जा रहा है? क्या मीडिया आपकी परेशानियों और आपकी पीड़ा की बात करता है? मुझे लगता है कि मीडिया सिर्फ अपने फायदे और टीआरपी की बात करता है।

जब महाराष्ट्र में भयानक सूखा पड़ा और कर्ज़ के बोझ में दबकर किसान आत्महत्या करने लगे तब हमारे देश की मीडिया उनकी पीड़ा को सरकार तक पहुंचाने के बजाय सांप और छछूंदर की लड़ाई दिखा रहा था। वो दिखा रहा था कि कैसे दो चूहे एक किराने की दुकान में अपने वर्चस्व की लड़ाई के लिए आपस में लड़ रहे हैं।

जब हमारे देश में भुखमरी और बेरोज़गारी के आंकड़े बढ़ रहे थे तब हमारा मीडिया उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच युद्ध की कल्पना कर रहा था। बीच सड़क पर ‘नागिन डांस’ की रिपोर्टिंग हो रही थी। अगर आप इसे पत्रकारिता कहते हैं तो मैं इसे लोकतंत्र का स्तंभ नहीं कह सकता।

आज पत्रकारों में एक होड़ लगी है कि कौन सत्ताधारी पार्टियों का कितना वफादार हो सकता है और विपक्ष के लिए कितना क्रूर। जिस मीडिया का काम रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सवाल सरकार से पूछने की है, वह देश के हालात के लिए विपक्ष को कोसता है।

अखबार के पन्ने पलटने के दौरान गौर कीजिएगा कि 18 से 20 पन्नों वाले अखबार में आपके मतलब की खबरें कितनी होती हैं। इन अखबारों की एनालिसिस करते हुए आप यह भी ज़रूर देखें कि अखबार में कितनी खबरें सत्ताधारी पार्टियों और विपक्षियों के लिए लिखी गई है। अगर आप इन ख़बरों की शैली पर भी थोड़ा ध्यान देंगे, तब पाएंगे कि किस तरह से विपक्ष को एक छुआछूत की भावना से दिखाया जाता है। यह भी ज़रूर देखिएगा की अखबार मे किन खबरों को पहले और अंतिम पन्नों में जगह दी गई है।

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