वह मुट्ठी भींचे मुझे चेता रहा था-
देखना एक दिन यह देश
योगियों-मुनियों के पावन युग में लौट आएगा
धरती सोना उगलेगी, कण-कण राममय हो जाएगा
और…और, कम्युनिस्टों का नाश हो जाएगा!
मैंने कहा, यार पंडित
तू जाने किस युग की बात कर रहा है?
देश में तो अभी ही आ गया है रामराज
विराजे बैठे हैं सत्ता की कुर्सी पर योगी महाराज!
मेरा दोस्त और भड़क उठा-
मत करो बात उस अधम पाखंडी की
जिसके पाप से शिशुओं की सांस उखड़ जाए
बहु-बेटियों की आए दिन लाज उघड़ जाए
जो बात करे तो दुर्गंध झरे
जिसके चेले दैत्य-सरीखे दिन-रात लड़े!
इस पाप से फिर मुक्ति कैसे?
उसने उसी तेवर और तड़प से कहा-
और कैसी होगी मुक्ति…
ये ससुरे कम्युनिस्ट ही निकालेंगे इसकी युक्ति!