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“क्या आईएएस अफसर तुकाराम मुंडे का तबादला राजनेताओं की साज़िश है?”

तुकाराम मुंडे

तुकाराम मुंडे

भारतीय राजनीति में प्रशासन हमेशा से राजकीय दबाव में काम करते आए हैं। सभी राजनेताओं द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन उसपर अमल कोई नहीं करता है। जब कोई काबिल अफसर कुछ सही काम करता है तब उसका तबादला कर दिया जाता है। ताज़ा मामला नासिक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का कामकाज देख रहे आईएएस अफसर तुकाराम मुंडे का है जिनका तबादला मुंबई कर दिया गया है।

तुकाराम मुंडे के ट्रांसफर के बाद यह सवाल फिर उठा है कि क्या अच्छे अफसरों की इस देश में कोई अहमियत नहीं है? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हमेशा पारदर्शी होने की बात करते हैं लेकिन क्या एक अफसर का तबादला कर देना उनकी पारदर्शिता वाली बात पर सवाल खड़े नहीं करता?

क्या मुंडे जैसे अधिकारी राजनेताओं के लिए सिरदर्द बन जाते हैं? लगभग सभी राज्यों में यही हालात नज़र आते हैं। कुछ राजनेताओं का कहना है कि मुंडे जैसे अफसर की कार्यशैली गलत है। यदि ऐसी बात है फिर तो इन राजनेताओं को पत्रकारों के पास जाकर शिकायत करनी चाहिए।

राजनेताओं को ऐसे अफसरों से दिक्कत इसलिए होती है क्योंकि वे हमेशा गलत करते हैं। मुंडे जैसे अधिकारी सही हैं तभी तो लोग उनके लिए सड़कों पर आते हैं। तुकाराम मुंडे के लिए कई अबतक कई जगह जन-आंदोलन हुए हैं। उनका 12 सालों में 12 बार ट्रांसफर हुआ है। इस घटना से समाज में गलत संदेश जा रहा है कि अगर आप अच्छा काम करेंगे तब आपकी भी यही अहमियत होगी।

यह बात सभी जानते हैं कि भाजपा हिन्दुत्ववादी विचारधारा से प्रेरित हैं। 2014 के बाद से ऐसे कई लोग मोदी के साथ जुड़े जिन्हें हिन्दुत्व से कोई मतलब नहीं, उन्हें बस विकास चाहिए। ऐसी घटनाएं उन्हें यह सोचने पर विवश करती है कि कहीं उन लोगों ने गलत नेता का साथ तो नहीं दिया।

भाजपा को अब यह तय करना पड़ेगा कि उसे कैसी राजनीति करनी है क्योंकि तुकाराम मुंडे जैसे अफसर तो आते रहेंगे। यदि ऐसे अफसरों का तबादला करना ही अब उनका काम रह गया है तब यह वाकई में  बहुत शर्मनाक है।

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