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“यूपी के गोंडा में पैसे लेकर क्यों बांटी जा रही हैं डिग्रियां?

नकल करते लोग

नकल करते लोग

2019 लोकसभा चुनाव के लिए अब ज़्यादा वक्त नहीं रह गए हैं। चुनाव के वक्त अगर देश की सियासत के बारे में जानना हो तब चाय की दुकान सबसे अच्छी जगह होती है जहां हर कोई राजनीति पर अपनी बात रखता नज़र आता है। चाय की दुकानों पर खड़े होकर बड़ी-बड़ी बातें करने वालों से अगर आप पूछ लेंगे कि उनके ज़िले के विकास में उनकी कितनी भागिदारी है, तब वे यह कहते नज़र आएंगे, “ह्म्मय ई राजनीति से का मतलब, अब ओनसे हम लड़य तौ जाब ना।”

ऐसे लोगों को कौन समझाए कि सिर्फ ज़मीनी स्तर पर उतरकर ही आप राजनीति में योगदान नहीं दे सकते हैं बल्कि यह काम सत्ता से सवाल पूछकर भी किया जा सकता है।

हम गोंडावासियों को सत्ताधारियों से सवाल करने से अधिक अच्छा उनकी जी हुज़ूरी करने में लगता है। नेता जी से कोई भी आदमी यह सवाल नहीं पूछता कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी लचर क्यों है। लोगों को अभी भी इलाज करवाने के लिए निजी अस्पतालों की मनमानी और लूट का सामना करना पड़ रहा है।

गोंडा के सरकारी विद्यालयों की हालत काफी दयनीय है जहां शिक्षक हमेशा नदारद रहते हैं। यहां की खराब सड़कों के लिए भी कोई नहीं पूछता। बदहाल कानून व्यवस्था और बढ़ती घूसखोरी भी चरम पर है। आलम यह है कि लोग अपनी बेटियों को रात में घर से बाहर नहीं भेजते हैं।

गोंडा के ग्रामीण रोज़गार के लिए दिल्ली, मुंबई, अमृतसर और सूरत जैसी जगहों में पलायन कर रहे हैं। मुझे समझ नहीं आता कि सरकार को लोगों के लिए रोज़गार के साधन उपलब्ध कराने में क्या दिक्कत होती है।

गोंडा के लोगों ने राजनीतिज्ञों की हिम्मत बढ़ा दी है। यहां अब भी जाति के आधार पर भेदभाव के ज़रिए राजनीति की जा रही है। चुनाव के वक्त जनता को ‘राम मंदिर’ का लॉलीपॉप दिखाकर वोट लिया जाता है। हमें इस बात पर गौर करना होगा कि हमें राम मंदिर के नाम पर वोट डालना है या फिर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के आधार पर अपना बहुमूल्य वोट देना है।

चुनाव से पहले यह तय करना होगा कि हमें हिन्दू , मुस्लिम में बंटना है या फिर अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक साथ आवाज़ उठानी है। जहां तक राम मंदिर की बात है, उसे अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब दिखाते हुए विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए। श्री राम भी सबको खुशी-खुशी साथ रहते देखकर ज़्यादा प्रसन्न होंगे।

हमें देश के उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतज़ार करते हुए अपना बहुमूल्य वोट राम मंदिर के आधार पर नहीं बल्कि देश के असल मुद्दों को ध्यान में रखते हुए देना चाहिए। इस देश में ना तो हिन्दू और ना ही मुसलमान खतरे में हैं। उन लोगों की राजनीति खतरे में है जो अपने फायदे के लिए जनता को बांटने का काम करते हैं।

गोंडा में होनहार छात्रों के साथ खुलेआम अन्याय किया जा रहा है। यहां माफियाओं द्वारा पैसे लेकर डिग्रियां बांटी जा रही हैं। इसके अलावा बालू माफियाओं का जमावड़ा गोंडा में कोई अचरज की बात नहीं है।

ऐसे हालातों में हमें ज़रूरत है कि हम एकसाथ मिलकर अपनी आवाज़ बुलंद करें ताकि सत्ता पर बैठे नेताओं को गलत करने की हिम्मत ना मिले।

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