Site icon Youth Ki Awaaz

“आसिया बीबी को पाकिस्तान से बाहर जाने से रोकना मानवाधिकार हनन है”

आसिया बीबी एक 47 साल की खेतों में काम करने वाली महिला हैं। वह पांच बच्चों की मां भी हैं और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की हैं। 14 जून 2009 को आसिया पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में व्यंग्यात्मक और अपमानजनक बात बोलने का आरोप लगाया गया था।

असल में तीन महिलाओं ने उस बर्तन से पानी पीने को माना कर दिया था जिसे आसिया (ईसाई धर्म मानने वाली) ने इस्तेमाल किया था। इसके बाद भीड़ आसिया और उनके घर को घेरती है और कोर्ट तक बात जाती है। ट्रायल कोर्ट ने आसिया को मौत की सज़ा सुनाई। आसिया ने ऊपर की अदालत में इस फैसले को चुनौती दी और अक्टूबर 2014 को लाहौर हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा।

इसके पीछे क्या-क्या हो रहा था?

2011 में पंजाब प्रांत के राज्यपाल सलमान तासीर आसिया के समर्थन में सामने आएं और तासीर की हत्या उन्हीं के गार्ड मुमताज़ कादरी ने कर दी। कादरी को दोषी करार देकर 2016 में फांसी हुई लेकिन धार्मिक संगठनों ने उसे पाकिस्तान में शहीद के तौर पर दिखाया। शाहबाज़ भट्टी पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के मंत्री का भी 2011 में कत्ल कर दिया गया क्योंकि उन्होंने आसिया के समर्थन में बोला था।

अब बात पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में जाती है, वहां लाहौर में हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया जाता है। आसिया को आज़ाद कर दिया जाता है और एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात कही जाती है ‘सहिष्णुता इस्लाम का मूल सिद्धान्त है’।

अब शर्म की बात यह है कि पाकिस्तान की सरकार ने तहरीक-ए-लबैक से समझौता कर लिया है, जिसमें आसिया का नाम एक्ज़िट कंट्रोल लिस्ट में डालने की बात की है। इस कारण वह देश छोड़कर नहीं जा सकती हैं। उनका सारा परिवार इंग्लैंड में उनका इंतज़ार कर रहा है। पाकिस्तान की सरकार कट्टरपंथी इस्लामवादी पार्टियों के सामने झुक गयी है।

यह सही नहीं है कि किसी के मानवाधिकारों का इस तरह हनन हो। पाकिस्तान यूएन का हिस्सा है, जिसके कारण उसे मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।

पाकिस्तान का चरित्र सबको पता है उसने सुधरने के नाम पर बार-बार धोखा दिया है। अगर यही भारत में होता तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी फैसला होता। यहां पर सभी धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। यहां कानून का राज चलता है और वहां आतंकी संगठनों और फौज का।

Exit mobile version