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अपार संभावनाओं के विषय को पराजित करती फिल्म है ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’

Thugs of Hindostan Review

साल की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ रिलीज़ हो चुकी है। दिवाली का मौका और आमिर खान के होने का इस फिल्म को पूरा फायदा मिला है। फिल्म को धमाकेदार ओपनिंग मिली है। फिल्म ने पहले ही दिन पचास करोड़ से अधिक का बिजनेस कर लिया है। हालांकि आमिर, अमिताभ की इस फिल्म को बहुत खराब रिव्यू मिले हैं। बॉक्स ऑफिस पर इसका भविष्य क्या होगा कहा नहीं जा सकता। हो सकता है इसे बहुत जल्दी भूला दिया जाए।

एक साथ अनेक दावे करने वाली ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ हकीकत में एक कमज़ोर फिल्म है। कंटेंट के मामले में बेहद निराश करती है। हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े बैनर यशराज द्वारा निर्मित इस फिल्म का बजट दो अरब रुपये से ज़्यादा है। आमिर, अमिताभ जैसे बड़े नामों से सजी यह फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है।

तकनीकी पक्ष सराहनीय है लेकिन विजय कृष्ण आचार्य इस बड़े जहाज को दिशाहीन सफर पर ले गए हैं। वो तय नहीं कर पाए कि उन्हें दिखाना क्या है। ठगों जैसे रोचक विषय पर बहुत उम्दा फिल्म बनाई जा सकती थी लेकिन वह सुनहरा अवसर हाथ से गंवा दिया गया है।

रिपोर्ट्स में ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ को उपन्यास ‘कन्फेशंस ऑफ ए ठग’ पर आधारित बताया जा रहा था लेकिन हकीकत में फिल्म मसाला फिल्मों से भी कम स्तर की नज़र आती है। एक्शन फिल्म का मज़बूत पहलू है। एक्शन सीक्वेंस के मामले में फिल्म बाहुबली को टक्कर देती नज़र आई है। इस पहलू पर मेहनत भी बहुत हुई है।

काश निर्माता बाकी पहलुओं पर भी इसी ज़िम्मेदारी से काम लेते तो एंड प्रोडक्ट कुछ अलग होता। अफसोस ऐसा हो ना सका। देखना होगा कि भव्यता का कुछ असर पड़ेगा या नहीं लेकिन याद रखें कि केवल धूम धड़ाके से फिल्में नहीं चला करतीं। कहानी में रिसर्च का अभाव साफ दिखाई देता है। ऐतिहासिक विषयों अथवा उससे प्रेरित फिल्मों के साथ यह दिक्कत बॉलीवुड में हमेशा से रही है। ठगों की परिकल्पना लेकर जा रहे दर्शकों को भी फिल्म निराश करेगी। 

कलाकारों ने अपने लिहाज़ से ईमानदारी से काम किया है। अमिताभ, आमिर की जोड़ी ने कड़ी मेहनत की है। फातिमा सना शेख व कैटरीना कैफ फिल्म को मनोरंजन पहलू देने की कोशिश करती हैं। कैटरीना ने गानों में बहुत सुंदर नृत्य किया है लेकिन ओवरऑल बहुत प्रभाव नहीं रचा जा सकीं।

आमिर का किरदार बहुत मनोरंजक बनने से चूक गया। फिरंगी मल्लाह के किरदार में अपार संभावनाएं बनाई जा सकती थीं लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया गया। आमिर का किरदार रोचक ज़रूर है लेकिन दिशाहीन है।

खुदाबक्श का किरदार निभा रहे अमिताभ ने अपनी उम्र से अधिक कमिटमेंट दिखाया है। फिल्म की नियति देखकर सब बेईमानी सा लगता है। फिल्म का पूरा हाल देखकर आश्चर्य हो रहा कि इसे परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने साइन किया है। उनके अंदर संभव हो कि बच्चे की आकांक्षाओं की सोच आई होगी। बच्चों को यह फिल्म पसंद आ सकती है, क्योंकि लंबू-छोटू के मज़ेदार प्रसंग हैं। बच्चों का दिल लेकर जाएंगे तो शायद निराश ना हो।

मेरे लिहाज़ से ठग्स को सिर्फ कमाई के नज़रिए से बनाया गया है लेकिन एंड प्रोडक्ट खासा निराशाजनक है। बहुत अधिक महत्वाकांक्षा चीज़ को तबाह कर देती है। ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान पर इस त्रासद स्थिति की छाप नज़र आती है। अपार संभावनाओं के विषय को पराजित होता देख दुख होता है।

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