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“नौकरी देने के नाम पर सरकार ने हमारी ज़मीन छीन ली, ना नौकरी मिली और ना ही पैसे”

किसान

संघर्ष करता किसान

अखबारों और न्यूज़ चैनलों के माध्यम से जब भी मुझे किसानों की आत्महत्या की खबरें सुनने को मिलती हैं तब बहुत अफसोस होता है। मुझे लगता है कि ना तो देश के राजनेताओं और ना ही लोगों को किसानों से कोई मतलब है। हम ऐसी खबरों के आदी बन चुके हैं। आखिर कब तक गरीब किसानों को झूठे वादे मिलते रहेंगे?

सत्ता में आने से पहले सरकारें सिर्फ झूठे वादे करती हैं और जब एक बार उन्हें कुर्सी मिल जाती है तब वादों से कोई मतलब नहीं रह जाता है। चुनाव के वक्त जब तमाम राजनेता गरीबों से वोट की भीख मांगने जाते हैं, तब बेचारे गरीबों को क्या पता कि वे उनसे उनका अधिकार ही ले जा रहे हैं। आपके वोटों का इस्तेमाल करते हुए राजनेता जब गद्दी पर बैठ जाएंगे तब वे सिर्फ अपनी झोली भरेंगे, उन्हें कहां मतलब है आपसे।

अभी हाल ही में एक गाँव भ्रमण करने के दौरान जब एक किसान से मैंने पूछा कि क्या आप सरकार से खुश हैं? क्या आपको सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है? तब पता है क्या हुआ? उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। मतलब साफ था कि सरकार की तरफ से इन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। मेरे द्वारा फिर से पूछे जाने पर उन्होंने बताना शुरू किया कि किस प्रकार से सरकार उनके साथ छलावा करती है।

उन्होंने कहा, “जब इलेक्शन की बारी आती है तब यहां पर नेताओं का जमावड़ा लगता है और इलेक्शन के बाद कोई भी नेता दिखाई नहीं पड़ता है। आखिर कब  तक हम गरीबों को लूटा जाएगा? हमारी ज़मीन भी यह बोलकर छीन ली गई कि हमें आप ज़मीन दो, हम आपको नौकरी देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”

गाँव के तमाम किसानों का यही कहना है कि सरकार मूर्तियां बनाने और एक्सप्रेस-वे सड़कों के निर्माण के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करती है। क्या इन पैसों का प्रयोग किसानों और गरीब तबकों की बेहतरी के लिए नहीं किया जा सकता? सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाने में जितने पैसे लगे हैं, यदि उन पैसों का प्रयोग गरीबों के विकास के लिए किया गया होता तब हमें आंसू नहीं बहाने पड़ते।

इससे यह स्पष्ट है कि सरकार ने गरीबों को सिर्फ वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया है। बेचारे किसानों को अनाज का सही दाम तक नहीं मिल पाता है। अगर सरकार को लगता है कि मुफ्त में गैस चूल्हा देकर इनका दिल जीत लेंगे, तब यह बस भ्रम है।

सरकारी भवन या किसी प्लांट निर्माण के लिए ना जाने कितने लोगों की ज़मीन लेकर उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया गया कि आपको नौकरी दी जाएगी। आखिर कब तक किसान अपनी जान कुर्बान करते रहेंगे। कब मिलेगी उन्हें आज़ादी?

मैं लोगों से बस एक ही विनती करना चाहता हूं कि गरीबों को अपने जीने का ज़रिया मत बनाइए, बंद कीजिए उन्हें गुमराह करना। यदि आप गरीबों को खुशी नहीं दे सकते तब उनके दुखों का कारण मत बनें।

नोट: कवर इमेज प्रतीकात्मक है। सौजन्य: Getty Images

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