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धोनी, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ के खिलाफ T20 टीम का हिस्सा क्यों नहीं हैं

भारतीय क्रिकेट में लंबे बालों वाला एक खिलाड़ी 2006 में आता है और भारतीय क्रिकेट में छा जाता है। यह खिलाड़ी कोई और नहीं भारत के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी हैं।

जिस समय भारतीय टीम में उनका आगमन हुआ उस समय भारतीय टीम में सचिन, सहवाग, गांगुली, लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे। टीम की सबसे बड़ी समस्या थी कि कप्तान किसे बनाया जाए, जो पूरी टीम को एकजुट करके चले। सीनियर खिलाड़ियों के हिसाब से धोनी का नाम उनमें सबसे ऊपर था। धोनी सीनियर खिलाड़ियों के सभी मानकों पर खड़े उतर रहे थे इसलिए उन्हें टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया।

अपनी कप्तानी में धोनी ने देश को T-20 और एक दिवसीय विश्व कप दिलाया। धोनी के ही नेतृत्व में भारत ने इंग्लैड में चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती। अपनी कप्तानी में उन्होंने टीम इंडिया को शिखर पर पहुंचाया।

विकेटकीपिंग हो या बल्लेबाज़ी धोनी का कोई तोड़ नहीं लेकिन अब धोनी उम्र की उस दहलीज़ पर पहुंच चुके हैं, जहां से हर एक खिलाड़ी को गुज़रना पड़ता है।

37 वर्षीय धोनी का बल्ला अब पहले की तरह नहीं गरज रहा है। दुनिया के बेस्ट फिनिशर की चमक फीकी पड़ गई है। हाल के कुछ मैचों में विकेटकीपिंग में तो चीते जैसी फुर्ती दिखी लेकिन बल्लेबाज़ी में वो कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि उन्हें वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया में होने वाले T-20 सीरीज़ के लिए नहीं चुना गया।

धोनी के करियर में यह पहली दफा है कि उन्हें टीम से फिटनेस के बावजूद बाहर बैठना पड़ रहा है। धोनी के बाहर होने से अफवाहों का बाज़ार भी गर्म होने लगा था। क्या वे अगामी विश्वकप में टीम का हिस्सा नहीं होंगे?

लेकिन कप्तान कोहली के दिए बयानों ने इन अफवाहों को खत्म कर दिया। कोहली ने अपने बयान में कहा कि धोनी एकदिवसीय टीम का नियमित तौर पर हिस्सा रहेंगे। T-20 में युवाओं को मौका मिले इसलिए धोनी ने खुद हटने का फैसला लिया। मतलब बात साफ है कि धोनी विश्वकप 2019 में मेंटर के तौर पर काम करेंगे, क्योंकि इस समय धोनी टीम के सबसे सीनियर खिलाड़ी हैं। कई मौके पर कोहली को भी उनसे सलाह लेते देखा गया है।

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