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“क्या इस देश को अब अच्छी सड़कें और रोज़गार नहीं, मंदिर चाहिए?”

bjp leaders are using ram as a star campaigner

चुनाव नज़दीक है, भाजपा के स्टार प्रचारक श्री राम को खुद मैदान में उतार दिया गया है। 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर केस को अगले साल के लिए टाल दिया था, तभी से हिंदुत्ववादी संगठन बेचैन हो रहे हैं। बेचैन तो भाजपा के नेता भी हो रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है। पिछले चार सालों से यह सब्र नहीं टूटा लेकिन 2019 के चुनाव नज़दीक आते ही यह सब्र टूट रहा है, यह भी कमाल की बात है।

अयोध्या में राम मंदिर के समर्थन में इकट्ठा भीड़। फोटो सोर्स- Getty

वीएचपी ने अयोध्या में 25 नवंबर को धर्म सभा की है, जहां तमाम हिंदुत्ववादी संगठन यह तय करने जमा हुए हैं कि राम मंदिर कब बनेगा और मंदिर बनाने का रास्ता कैसे तय होगा। राम मंदिर विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। फिर वीएचपी को यह अधिकार किसने दे दिया कि वो मंदिर की तारीख और मंदिर बनाने का रास्ता तय करे? क्या वीएचपी सुप्रीम कोर्ट की एक्सटर्नल बेंच है?

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी अपने शिव सैनिकों के साथ अयोध्या पहुंचे हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार राम मंदिर बनाए नहीं तो 2019 में सरकार गिर जाएगी। हर साल बारिश में मुंबई की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं, फिर भी बीएमसी में शिवसेना की सरकार नहीं गिरती लेकिन राम मंदिर नहीं बनाने से तो सरकार गिर ही सकती है। शायद इस देश को अब अच्छी सड़कें नहीं, मंदिर ही चाहिए।

अयोध्या में जमा हिंदुत्ववादी संगठन सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि सरकार मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाए। तो क्या अब भारत की सरकार बहुसंख्यकवाद से चलती है? किसी भी धर्म के ठेकेदार बेरोज़गार युवाओं की भीड़ लेकर इकट्ठा हो जाएं, तो सरकार को उनकी बात माननी पड़ेगी?

राम मंदिर के निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या में आयोजित धर्मसभा। फोटो सोर्स- Getty

फर्स्टपोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या में इस धर्म संसद को मद्देनजर रखते हुए आस-पास के मुसलमानों ने शहर छोड़ना शुरू कर दिया है। सोचिए, कैसा डर का माहौल बनाया गया होगा। आखिरी बार जब वीएचपी ने 1992 में अयोध्या में डेरा जमाया था तब जिस तरह से कानून की धज्जियां उड़ाकर बाबरी मस्जिद गिराई गई थी और देशभर में मुसलमानों को मारा गया था, यह कौन भूल सकता है?

‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ एक असंवैधानिक नारा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद यह नारा देने का मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जो भी होगा लेकिन बनेगा मंदिर ही।

वीएचपी का कहना है कि देशभर से 2 लाख युवा उनके धर्म सभा में इकट्ठा हुए हैं, जो मंदिर बनाना चाहते हैं। यह किस देश के युवा हैं जो मंदिर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? भारत के युवा तो नहीं हो सकते। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अक्टूबर में भारत की बेरोज़गारी दर 6.9% तक पहुंच गई है, जो पिछले 2 सालों में सबसे ज़्यादा है। भारत का युवा तो नौकरी के लिए संघर्ष कर रहा है। भारत का युवा तो नौकरी ना मिलने से ट्रेन के आगे कूदकर जान दे रहा है।

ये कैसी भावनाएं हैं जो मंदिर के लिए जाग जाती हैं? अयोध्या से सिर्फ 135 किलोमीटर दूर है गोरखपुर, जहां 2016 में एक सरकारी अस्पताल में 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो गई क्योंकि योगी सरकार ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को सिर्फ 60 लाख रुपए नहीं दे पाई। कंपनी ने ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने से पहले वॉर्निंग के रूप में अस्पताल को लिखा भी था कि 60 लाख का बकाया बिल भर दें लेकिन बिल नहीं भरने से 60 से ज़्यादा निर्दोष बच्चे मर गए। इन युवाओं की भावनाएं तब क्यों नहीं जागी?

अगर इन्हें देश की थोड़ी भी चिंता होती तो जो लाखों की भीड़ आज अयोध्या में है वो उस वक्त लखनऊ में सीएम आवास पर होती और योगी जी का इस्तीफा लेकर ही लौटती।

राम मंदिर के निर्माण का समर्थक। फोटो सोर्स- Getty

लेकिन मरने वाले बच्चों में से कोई उनका अपना नहीं था इसलिए इन युवाओं की भावनाएं तब नहीं जागी। दरअसल, ये युवा शक्ति नहीं, भीड़ के सिपाही हैं बस। चार सालों में जो इस भीड़ को पढ़ाया गया था, अयोध्या में उसकी परीक्षा है। भगवान ना करे लेकिन जिस दिन सरकारी सुविधाओं की कमी से इनके घरों के बच्चे मरेंगे, उस दिन ये युवा भीड़ के सिपाही पद से इस्तीफा दे देंगे।

मंदिर का तो पता नहीं लेकिन अयोध्या में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मज़बूती से खड़ा हो गया है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल की खराब हालत देखकर जो स्तंभ डर जाता है कि अब तो सत्ता से सवाल करना पड़ेगा, वो स्तंभ अयोध्या में ही डेरा जमाए बैठा है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़कों से उखाड़ कर मंदिर में गाड़ दिया गया है। वो भी खुश है कि कम-से-कम सत्ता से सवाल तो नहीं करना पड़ेगा।

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