प्रिय प्रधानमंत्री जी,
आशा है आप सकुशल होंगे। आप बहुत व्यस्त रहते हैं और दिन में 16 घण्टे काम करते हैं लेकिन मुझे फिर भी उम्मीद है कि आप अपने कीमती वक्त से कुछ समय निकालकर इस खत में लिखी बातों की ओर ध्यान देंगे।
1. आप पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं केवल पार्टी के नहीं और जिस पद पर आप आज बैठे हैं उसपर कभी नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री से लेकर अटल जी, मनमोहन सिंह भी बैठे हैं लेकिन इन सबने अपनी भाषा में हमेशा अपने पद की गरिमा का मान सम्मान रखा है। जब आप कुछ कहते हैं तो वो पूरी दुनिया में सुना, पढ़ा और लिखा जाता है इसलिए आपसे आग्रह है कि आप अगली बार अपने वक्तव्य में इसपर ज़रूर ध्यान दें।
2. जब आप खुद को प्रधान सेवक कहते हैं तो मैं यह मानता हूं कि आप इस देश के हर नागरिक को उसकी जाति, धर्म, शिक्षा, व्यवसाय के परे उसके सम्मान और अधिकारों की रक्षा करेंगे लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार समाज में लोगों के बीच धर्म और जाति के नाम पर भय पैदा किया जा रहा है। अगर इसे नहीं रोका गया तो यह देश के लिए बहुत घातक होगा। हमारे देश की पहचान इसकी अनेकता में एकता है। मुझे आशा है आप इसे बनाये रखने का प्रयास करेंगे।
3. देश में रोज़गार की स्थिति बेहद निराशाजनक होती जा रही है। देश में आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। सरकार और दूसरी स्वायत्त संस्थाओं के बीच की टकराहट को कम करना बेहद ज़रूरी है। आशा है आप इस ओर ध्यान देंगे और रिज़र्व बैंक और अन्य आर्थिक संस्थाओं के साथ बैठकर अर्थव्य्वस्था को आगे बढ़ाने का ज़रूरी कदम उठाएंगे।
4. नेताओं द्वारा दिए जा रहे बेतुके बयान समाज के लिए बेहद घातक है। इधर-उधर की बातों में ना पड़कर हमारे नेता युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य की ओर अपने कदम बढ़ाये तो देश बेहद तेज़ी से प्रगति करेगा।
5. मौजूदा वक्त में देश को शहरों के नाम बदलने से ज़्यादा उन शहरों में रहने वाले लोगों के लिए वहां बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काम करना ज़रूरी है। देश को प्रतिमाओं की नहीं नेताओं की प्रतिबद्धता की ज़रूरत है। हमारे देश की ज़्यादातर आबादी युवा है और इसलिए देश को तेज़ी से इन युवाओं को ध्यान में रखकर इनके लिए शिक्षा और रोज़गार की उपलब्धता पर ज़ोर देना आवश्यक है।
आशा है आप इन सभी बातों की ओर ध्यान देंगे और देश के समग्र विकास पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करेंगे।