वो बाप जो अपने बेटे को उसके मन की चीज नही दिला पाता, वो भी रोता है, वो बेटा जो अपनी बहन की शादी के दहेज के लिए पैसे बचाने खातिर अपने मन के कॉलेज में एडमिशन नही ले पाता, वो भी रोता है। जॉब की खातिर धक्के खाता और दुनिया के ताने सुनता मर्द, वो भी रोता है। एक तह के बाद एक दूसरी तह बनती जाती है, हर दर्द, हर दुख सीने में कैद किये और आँसुओं को आँखों के पीछे छुपाये ये मर्द दुनिया के इशारों पर न चाहते हुए भी नाचता रहता है।
ये नाचता है ताकि इसकी माँ को मुस्कुराने का मौका मिले, ये नाचता है ताकि बाप के कंधों पर से थोड़ा सा बोझ ले सके। ये नाचता है ताकि छोटे भाई और बहन को दुनिया ऐसे न नचा सके। नाचते-नाचते ये रो देता है लेकिन नाचना नही छोड़ता। दुनिया ताली बजाती है, ये अपने आंसू पी जाता है।
इसका रोना सुनाई नही देता। जो दिल के अंदर झाँक कर इसके अंदर की सिसकियाँ सुनने वाली मशीन जिस दिन बन जाएगी, उस दिन इन दबी-छुपी सिसकियों से पूरी दुनिया बहरी हो जाएगी।
#InternationalMensDay